बिक्रम सम्वत् आरम्भकर्ता बिक्रमादित्य आ नेपाल

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उपेन्द्र भगत नागवंशी ।
नेपाली कलेण्डर अनुसार चैत ३१ गतेमे वर्षके समापन एवं बैशाख–१ गते दिनस’ नेपालमे नववर्ष आरम्भ होइत छै । प्रचलित सालसभ मादे संसारमे सबस’ पुराण बिक्रम सम्वत् रहल अछि । जे सम्वत् शतप्रतिशत हमरासभ नेपाली समाजमे प्रचलनमे छै ।
एहि सम्वत्के आरम्भ ईशापूर्व सन् ५७ मे भेल छल । तहिस’ इश्वीसन्मे सन्तावन वर्ष जोड़ला पर बिक्रम सम्वत् वर्ष भजाइत छै । अर्थात् इशास’ सन्तावन वर्ष पुराण बिक्रम सम्वत् वर्ष छै ओ स्वत् सिद्ध गप्प छै ।
प्रथम बिक्रमादित्य सम्राट— बिक्रम सम्वत्के प्रचलन तात्कालीन उज्जैनी नरेश ‘बिक्रमादित्य’ वीरबिक्रमके समयमे आरम्भ भेल मानल जाइत छै । बिक्रमादित्य एहन जनहितकारी आ अतिजनप्रीय प्रतापि चक्रवर्ती सम्राट छलाह ।
हुनक राज्यमे रोग, शोक, भय आक्रान्तस’ मुक्त भ’क’ प्रजाजन रहैत छल । हुनक राजत्वकालमे भुख तकलीफ राज्यस’ दूर रहैत छल तेहन व्यवस्थाकार ओ छलाह ।
‘धन्वन्तरी’, ‘शंकु’, ‘कालीदास‘, ‘क्षपणक’, ‘अमर सिंह’, ‘बेताल भट्ट’, ‘वररुचि’, ‘घटखर्पर’, ‘बराह मिहिर’ जेहन विद्वान सन्तसभ ‘बिक्रमादित्य’के राज्यसभाके सदस्यसभ छलाह । हुनक राज्यसभाके ९ नवरत्न मानल जाइत छलाह ।
आयुर्वेद विद्याक महाज्ञानी धन्नवन्तरी, विद्वानकवि कालीदास, बौधमहर्षि क्षपणक, ज्यातिषाचार्य ग्रह–नक्षत्र विज्ञानिक बराह मिहिर समाजक अध्ययेता अमरसिं आदि एकस’ एक दार्शिनीक विद्वान हुनक राज्याश्रमे सामेल छलाह ।
हुनक राज्य सञ्चालन नीति, देशक समृद्धि, जनहितैसी भावना, लोकप्रीयता, देखिक’ कालान्तरमे हुनक अनुशरणकर्ता अनेकन राजा महाराजासभ भेलाह । जे अपन नामसंग बिक्रमादित्य जोड़ लगलाह । एहिस’ तात्कालिन भारतवर्षमे सम्राट बिक्रमादित्यकेँ योगदानता बुझल जासकैए ।
दोसर बिक्रमादित्य सम्राट–बिक्रमादित्य पछाइत ‘चन्द्रगुप्त’(व्दितिय) बिक्रमादित्य भेलाह । वर्तमान भारत एकिकृत होब’स’ पहिने विभिन्न राजा–रजौटा मादे शासन व्यवस्था चलैत छल । ताहि मादे गुप्तवंश सेहो छल ।
जाहि समयकेँ स्वर्णिमयुग मानलगेल छै । विभिन्न आक्रान्तासभ सेहो आक्रमण क’क’ शासन चलबैत रहल । बहुत पाछा सत्तरहम् शताब्दिमे बृटिश उपनिवेश सेहो कायम भेल छल ।
गुप्तवंशके संस्थापक सम्राट समुद्रगुप्तके पुत्र चन्द्रगुप्त बिक्रमादित्य सन् ३७५–४१४धैर शासन कएलाह । हिनकहि राजत्वकालमे चीनी यात्री फाहियान नेपाल सहित भारतक भ्रमणमे ४००–४११ई.धरि रहलाह ।
तेसर बिक्रमादित्य भेलाह सम्राट ‘हर्षवर्धन’ । हिनक शासन अवधि ५९०–६४७ ई. रहल । हिनक राजत्वकालमे चीनी विद्वान ह्वानसांग एहिक्षेत्रक भ्रमण बर्षोरहिक’ कएलाह ।
वर्तमान भारतीयभूमि उत्तरप्रदेशके कन्नौजस’ नेपालक सिम्रौनगढ सहितके मिथिलाक्षेत्रधैर हर्षवर्धनक शासन चलैत छल । साहित्य सर्जक, कलाप्रेमी, प्रजापालक,दयावान सन्त सम्राटक रुपमे हर्षवर्धनक सर्वत्र नाम छल । गर्भस’ आइयो नाम लेल जाइत छै ।
चारिम बिक्रमादित्य भेलाह–‘परमार वंशीय राजा भोज । सन् ९९९–१०५५धैर हिनक शासनकाल रहल । कहां राजा भोज कहां गंगुतेली ई कहबी आइयो कहल सुनल जाइत छै । ओ विद्वान राजा भोज बिक्रमादित्य उपाधिधारक छलाह ।
पाँचम् बिक्रमादित्य बनलाह राजा ‘हेमचन्द्र बिक्रमादित्य’ । ब्राह्मण कूलक राजा हेमचन्द मुगलसभके पराजित क’क’ सन् १५५६मे वर्तमान भारतक दिल्ली पर शासन कएलाह ।
मात्र शासन सत्ता जमाबमे हेमचन्द्र बिक्रमादित्य सफल नइ भेलाह । अपन जीवनकालमे २४टा युद्ध लड़लाह जाहिमे २२टा युद्धमे विजयी प्राप्त कर’मे सफल भेल छलाह ।
छठम् बिक्रमादित्य उपाधिधारक राजा भेलाह मेवाड़के महाराना ‘राना बिक्रमादित्य’ । १५८८मे राज्य सिंहासन सम्हारलाह । राना बिक्रमादित्य कृष्णभक्त मीरा वाइकेँ विष(जहर)केँ कप पीबलेल देने छलाह । एहिस’ ओ आओर प्रसिद्ध भेलाह ।
सातम् बिक्रमादित्य सम्राट भेल छलाह कुमाऊँके राजा ‘देवीचन्द्र बिक्रमादित्य’ । ई प्रजापालक राजा सन् १७२०–१७२६धैर कुमाऊँ–गढ़वालके शासन सम्हारने रहलाह । अपन राज्यक ऋणग्रस्त प्रजाकेँ राज्यकोषस’ सबटा ऋण चुक्ता क’क’ ऋणमुक्त करौने छलाह । ओ प्रसिद्धीस’ बिक्रमादित्य भेलाह ।
आठम् बिक्रमादित्य उपाधिधारक राजा बनलाह नेपाल एकिकरणकर्ता पृथ्वीनारायण शाह । ओ १७६८–१७७५ धैर शासनमे रहलाह । ओ १७४३मे पृथ्वीनारायण शाह गोरखा राज्यक राजा छलाह ।
नओम् आ प्रभावशाली बिक्रमादित्य समावेश राजाक रुपमे शाहवंशीय राजा ‘गिर्बाणयुद्ध वीर बिक्रम शाहदेव १७९९मे राजपाट सम्हारला पछाइत भेलाह । बास्तविक रुपमे अपन नामसंग बिक्रमादित्यक उपाधि ‘वीर–बिक्रम’ जोड़ब काज तात्कालीन नेपाल नरेश गिर्वाण शाहस’ भेल ।
नेपाल नरेश जतेक भेलाह सबकेसभ बिक्रमादित्य उपाधिधारि वीर बिक्रम राजाके रुपमे शाह वंशीय १४ राजा भेलाह । जाहिमे अन्तिम नरेशक रुपमे ज्ञानेन्द्र वीर बिक्रम शाहदेव गणनामे आबैत छथि ।