अस्तित्व शेष होइतो इनारकेँ लोक बिसरैत जारहल

सीमाञ्चल समदिया

11 दिन पहिले प्रकाशित

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उपेन्द्र भगत नागवंशी
जनकपुरधाम–२०गते,जेष्ठ । कोनो समय छल गाम घरमे मात्रे नइ जनकपुरधामसन शहर बाजारमे सेहो लोक इनार खनाओल करैत छल । कियक त’ जल ग्रहणक माध्यम इनार(कुँवाँ)  होइत छल । समाजक कहबैका, धनीमानी लोक  शुयश प्राप्तक साधन इनाके मानैत छल । तैँ इनार खनाक बाहबाही लुटैत छल । समाजक भद्रलोकमे दानीलोकमे तेहनसनकेँ गणना कएल जाइत छल ।

वियाह हेतु मटकोर विधि इनार पर कएल जाइत छल । पशुके नबाबस’ ल’क’ नहायब धोयब धरिके काज इनार पर कएलजाइत छल । अमनीया पानि हेतु इनारकेँ पुजल जाइत छल । पानिस’  पावनि त्योहारकेँ परिकार बनाओल जाइत छल ।
  

 मुदा आब इनारकेँ सुद्धि लिअबाला सेहो लोक समाजमे नइ रहल । तैँ गाम–गाममे रेखदेखके अभावमे इनार, भथागेल, भरागेल । आब देखहु लेल बड कम इनार गाम घरमे भेटैत छै । शहर बजारमे त’आरो नदारथ ! एहि मामिलामे जनकपुरवासी भाग्यमानी छै ।
    

चापाकल सामाजिक प्रचलन अएला पछाइत इनारकेँ लोक बिसरैत चैलगेल । होइत हबाइत आब टंकी आ ओहिस’ उपर बोतल जारकेँ पानि पर लोक आश्रित होब लागल छै । तैँ इनारे जकाँ चपोकलके हाल होइत जारहल छै ।

विज्ञानिक कहैत छैथ इनार–पोखरि रहल स्थानसभमे दलकी अएला पर जनधनकेँ कम क्षति होइत छै । पृथ्वीके डोलब गतिमे इनार रहने भूचर्कन,पताल फूटब जेहन आपदामे कमि अबैत छै । एहि बातके पुराण लोक नीकस’ बुझैत छलाह । तहिस’ जलके जल आ प्राकृतिक आपदास’ बाँचब काज दूनु काज एकटा इनार खनाक रखलास’ पुरा होइत छलै ।

अखनो जतह जाहि गाम ठाममे इनार छै कनेको ओकर अस्तित्व शेष छै त’ ओकर संरक्षण कएल जाय चाही । भथाएल जारहल छै त’ उराहल जाय चाही । पानि नहियो पीब सकी त’माल जालकेँ नहाएब, नबाएब आ बासन–बर्तन, लत्ता–कपड़, चथरी, गदेलmीपलिया, लेबा–लेबरी धोएब ओहन काजमे जल उपयोग कएल जा सकैए ।
    

जतह चापाकल नइ धसैत छै खाशक चुरे अथवा पहाडि़क्षेत्रमे ओहि स्थानसभमे अखनो जल भण्डारणके सहज साधन इनारे छै । मुदा जहिना–जहिना सुगम स्थल दिश नगर गाम शहरदिश लोक रहैत गेल, विकसित ठाम भेल ओतह इनार समाप्त भगेल किछु छैहो त’ ओहो भथा रहल छै ओ बुझल जासकैए ।
    

ओना मिथिलानगरि जनकपुरधाममे अखनो आधासय जतेक इनार सुरक्षित छै जेकरा व्यवस्थित कएल जाय चाही । जलकेँ उपयोगितामे आनल जाय चाही ।

शीशमहल जानकी मन्दिरमे इनार छै मुदा प्रयोग विहिन अवस्थामे सुरक्षित छै । संकटमोचन मन्दिर हनुमान नगर आ रङ्गभूमि मैदानलगमे इनार चालु अवस्थामे छै । ज्ञानकुप संस्कृत विद्यालयमे प्राचीन तीनटा कूप विद्यमान छै । जेकर जलकेँ अपन तरहक खाश महत्व छै ।

कथबनियां कुट्टीमे इनार छै । शीतला मातामन्दिर गिरनारीकुट्टी, कुवा महादेव मन्दिरमे, बिहारकुण्ड, रत्नसागर, सुन्दर सदन, झूलन कुञ्ज आदि स्थानमे सेहो इनार अस्तित्वमे छै जाहिके संरक्षित आ सुरक्षित जल उपयोगी बनाओल जाय चाही । जाहिस’ इनारक अस्तित्वो रहत आ जलो काजमे आएत । संस्कृति संस्कार प्रगाढ सेहो होएत जे पहिचानस’ जुड़ल छै । त’ चलल जाय आइए सोकजगर प्रयास कएल जाय अरबैस क’ एकर परिणाम सार्थक आओत ।

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