जनकपुरक्षेत्रके पर्यटन विकास हेतु संवेदनशीलता,गम्भिरताके दरकार छै

4 दिन पहिले प्रकाशित
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उपेन्द्र भगत नागवंशी
जनकपुरधाम–१९गते,जेष्ठ । नेपालमे तराई–मिथिलाक्षेत्रमे पर्यटनक भरपुर सम्भावनास’ भरप ठामसभ छै । मुदा एकर प्रचार–प्रचार ओहि रुपमे नइ भपाएल छै । तेकर मूलकरण छै, राज्यके एहि दिस गम्भिर ध्यान नइ होएब । एहि भूमिक लोककेँ ओतेक जागरुकता देखाब नइ सकब ।
एहि परम पवित्र मिथिला भूमिदिस गम्भिर षडयन्त्र विगतोमे भेल अखनो भइए रहल छै । तैँ एकर समुचित उत्थान विकासमे बाधा–अवरोध होइते–आइबते रहब समान्यसन विषय भगेल छै ।
प्राचीन विदेहदेशीय मिथिला राज्यक राजधानी जनकपुरधाममे एम्हर किछु वर्षस’ गोष्ठी आदि कराक जगजियार करब प्रयास कएल जारहल छै । मुदा,ओ प्रयास सार्थकतास’ बेसी निरर्थकता दिस जारहल छै की ओहो आभास पंक्ती लेखकके भेल छै ।
पर्यटन प्रवध्दन हेतु नेपाल पर्यटन बोर्ड कहियोकाल एतह गोष्ठी, पर्यटक गाइडके प्रशिक्षण आदि काज कराक सुरखुरु कहौलक । एहे जेष्ठ बितल शनिदिन पर्यटन बोर्ड एकदिना अन्तरकृया कएलक । संजोग जुड़ल हमहुँ ओहि गोष्ठीकेँ हिस्सा बनल छल्हुँ ।
तराई–मधेशके जिलासभमे कतह कोना आ कतेक बजेट आगामी आर्थिक वर्षमे पर्यटनक्षेत्र विकास हेतु खर्च करत ओहि हेतु मूलतः कार्यक्रम आयोजित छल ।
नेपाल सरकार पर्यटन,संस्कृति तथा नागरिक उड्डयन मन्त्रालय मार्फत पर्यटन बोर्ड लेल १सय१६ करोड़ टाका बजेट नेपाल सरकार छुटियौने छै । आर्थिक वर्ष २०८२–०८३ लेल देशभरिके पर्यटन प्रवध्र्दन लेल उक्त बजेट खर्च कएल जाएत ओ जनतब भेटल । बूझल जासकैए ई ऊँटक मूँहमे जीरक फोरनसन अवस्थाक बजेट छै ।
मिथिलानगरि अखनुका मधेश प्रदेशके राजधानीनगर जनकपुरधाम आ एहिस’ जुड़ल क्षेत्रसभ सीता–राममय छै । एहिमे मिसियोभरि सन्देह नइ ! मुदा सीता–राम मात्रे नइ जनक,अष्टाबक्र, मिथि (जिनका नाम पर मिथिलाके नामाकरण भेल छै) तिनकर स्थान विकासके बात कत’ ?
सीता–रामके वियाह बाद लक्ष्मण, भरत, शत्रुध्नके क्रमशः उर्मिला, माडवी, श्रुतकिर्ती संग वियाह भेल छल । हिनकासभकेँ फराके फराक स्थानमे वियाह विध कोहबर–मारर भेल छल । ओ अन्हारमे रहल स्थानसभकेँ उजागर करब काज कियक नइ ? आश्चर्य आ बिडम्बनाक बात नइ छै !
सीता–रामकेँ स्वयंम्बर स्थान फरक छै । वियाह–सेनुरदान स्थान फरक । रामक भाय लक्ष्मण आ उर्मिला, भरत आ माण्डवी, शत्रुधन आ श्रुतकिर्तीकेँ सीता–राम जकाँ स्वयंवर धनुषयज्ञ विधि नइ होइत छैन्ह । सोझे वियाह होइत छै, ओहो सीता–रामक स्वयंवर पछाइत तीन महिना बाद । तत्कालीन समयमे कौशल प्रदेश अयोध्या नरेश दशरथ दिसस’ आयल हजारो बरियाती नओमासधरि जनकपुरधाममे रहैत छथि ।
मिथिलाक ओहि समयक बाधबोन, नगर–गाम सहित एहिस’ जुड़ल आन प्रदेशसभकेँ भ्रमण नगर दर्शन सेहो कएल जाइत छै । ओहि स्थानसभकेँ एकटा मोतीके मालामे गाँथल जकाँ पर्यटकीय पौकेज कियक नइ बनाक’ पर्यटकके घुमाओल जाय ।
एहिस’ अधेदिनमे बाहरस’ आइबक घुमिक चैल जायबाला पर्यटक किछुदिन त’ अरबैसक ठकमत, रुकत, घूमत । ओहिस’ एहिक्षेत्रके लोक–समाज आ सरकारकेँ आर्थिक रुपस’ समेत विकास होएत ।
सीतारामक वियाह स्थल जानकी वियाह मण्डप वार्ड नं.१२,१५, बीचमे छै । कियक नइ वियाह स्थल(म्यारेज ल्याण्ड(के रुपमे ओहि स्थानके विकास कएल जाय ।
एतह मात्र हिनदु धर्मावल्मीसभकेँ लेल मात्रे नइ ! आन धर्मावलम्बीसभकेँ लेल सेहो ओतबे पवित्र स्थल छै । एहि बात–विषयके कतेक के, कोन विद्वान,पत्रकार उजागर क’क’ फरिछाब’ सकलाह !
जैनधर्मक सर्वज्ञाता,देवता,आदि तिर्थंकर ऋषभ देव–नाथ,काली गण्डकीमे ध्यान क’क’ एहि भूमिमे आएल छलाह । पाँच गोटे तिर्थंकर एहिक्षेत्रमे धर्म–प्रचारमे रहलाह, समाधिस्थ भेलाह ।
उन्नैसम तिर्थंक मल्लिनाथ । २१ औ तिर्थकर नेमिनाथ (ने मुनी जिनका नाम पर नेपालके नामाकरण भेल छै ) । बासम् तिर्थंकर पार्श्वनाथ । चौबिसम् आ अन्तिम तिर्थकंर बद्र्धमान महावीर । ई सबटा महापुरुष एहि मिथिला भूमि पर पधारने छलाह बर्षो वर्षधरि रहला आ दूटा तिर्थंकर मलिलनाथ एवं ने मुनि नेमिनाथ एतहि देह त्याग कएने छैथ । एहिबातके प्रचार–प्रचार क’क’ जनधर्मीसभकेँ जनकपुरदिश तानल जासकैए ओ काज कियक नइ कएल जाय ।
विश्व शान्तिक अग्रनी दूत सिद्धार्थ गौतम महात्मा बुद्ध, हिनक प्रसिद्ध अनुयायीसब जनकपुरधाम मिथिलाभूमिमे आविक’ रहल बसल छैथ । ओ स्थानके कियक अनदेखल कएल जारहल छै ।
मातपिता परम भक्त श्रवन कुमार अपन मातापिताकेँ कन्हा पर उठाक तिर्थाटन कराबलेल वर्तमान नेपालमे अएलाह, स्याग्जा दिस पधारस’ पहिने जनकपुरधाम अएलाह । एतह ओ तपस्थली–तपनालयमे विश्राम कएलाह । जे स्थान वर्तमानमे जनकपुरधामस’ सटले पश्चिम तपनपुर छै ।
गणवादी व्यवस्था पनेता देवादिदेव शिव महादेवके गणधरसभकेँ बासस्थान, किराँत नरेश बेना सूर(वाणासूर),लंकाधिपति रावणक लघुलंका नगर ईसबटा पवित्र स्थान जनकपुरधामसंग जुड़लक्षेत्रको पहिचान विकास आ प्रचार प्रसार कियक नइ कएल कराओल जाइत छै ।
राज्यके दृष्टिकोण भंग कराब पड़तै । मुदा एकटा बात जे किछु राज्य दिसस’व्यवस्थो कएल जाइत छै तेकरा हमसभ निघांस करहल छी एहिके के सुधारत ? जानकी मन्दिरके मार्वल, टायल्स बिछाओल ओहो कलहा ओ देखब लेल आब पर्यटक नइ आओत ।
लोक आब असली मौलिक स्वरुपक बस्तु देख चाहैत छै ओ मौलिकता हमसब बचाक’ राखब तखने पर्यटक टुटि पड़त । जनकपुरधाम धार्मिक पर्यटने पर विकसित होब सकैए । जाहि हेतु किछु आडम्बरो कर पड़त त’कएल जाय ई हमर मान्यता छै ।
संगेसंग जे मौलिक स्थानसभ छै ओहिके सम्बन्धमे जनकपुरधाममे आबबाला घुमबाला पर्यटककेँ हमसभ सही सूचना आ ठङ्गस’ जनतब देब’ सकब तखने ओ मिशन पर्यटनभ्रमणकेँ एतुका इतिहास, संस्कृति, कला, धर्म, धार्मिक मान्यता, लोक सहमतीय सिद्धान्त अथवा विमतीय विचार भाव प्रस्तुत करए सकैत छी ।
आगन्तुक लोक–पर्यटककेँ सभ्य आ नम्रतास’ सही सूचना हेतु पर्यटन मन्त्रालय गाईडसभकेँ प्रशिक्षण द’क’ तयार करैत छै । जनकपुरोक्षेत्रमे तयार कएने छै ।
हमरा जनतब अनुसार गतवर्ष–२७गोटे आ एहिवर्ष किछुए हप्ता पहिने बर्दिबासमे नाफम मादे ४०गोटे पर्यटन भ्रमण कराबलेल टुरिष्ट गाइडके तयार कएल गेल । मुदा विडम्बना एहन छै पर्यटकसभकेँ रिक्सा चलाबबाला गाइड करैत रहैत छै । जाहिस’ पर्यटक अपूर्ण, फूसियाहा, भ्रमित करबाला बात बुझिक जाइत छै ।
एहिस’ एक बेर आएल प्रर्यटक दोहराक आब’ नइ चाहैत छै । जौं एहिना होइत रहल तखनि अखनुका समयमे अरबोके लगानीमे तल्ला पर तल्लाबाला होटलसभ थपाइत जारहल छै । कि ओ चल’ सकत ?
तखनि सही सान्दर्भिक तथ्यपरक,यर्थात बात मिथिला–मिथिलाक सभ्यता, संस्कृति, पहिचान, मान, सम्मानगारक विषय बात जनकपुरधाम सम्बन्धमे बुझस’ पर्यटक बञ्चित रहि जाइत छै ।
एहि खेलमे अधिकाशं होटल व्यवसायीसभ सेहो सम्मलित रहैत छै । ओ सभ दक्ष सिखल पढ़ल बुझ–गमबाला टुरिष्ट गाइडकेँ संग जाएके सल्लाह सुझाब पर्यटककेँ नइ दैत छै ।
बरु पर्यटकके उन्टे कन्भिन्स करैत छै–“गाइडसभ अधिक पैसा ल’लेत हम बजा दैत छी, फलां रिक्सा बालाके ओ सबटा देखा–घुमादेत आ बताइयो देत कमे पाइमे काम भजाएत ”! ई बड सहज आ समान्य बात लगैत छै बुझाइत छै । मुदा छै अत्यन्त गम्भिर बात ।
गाइड करएबाला सहि नइ भेल त’ देश समाजक सबटा पहिचानबादी विषय गौरब–गाथा मटियामेट भजाएत । मान सम्मान आ पहिचानस’ जुड़ल बात जौ गल्तरुपमे व्याख्या भ’क’ सन्देश प्रवाहित भजाए
तखनि सरकारद्वारा प्रशिक्षण देल आ प्रशिक्षित लोककेँ कोनो काज सुफल नइ होएत । एहि दिस सरोकारबाला सबटापक्षकेँ संवेदनशीलताके, गम्भिरता पूर्वक विचार करब, बुझब–गुणब तेकर अत्याधिक दरकार छै ।