अनुशासनहीन दल–दलीय दल आ ओकर ढोलकीया

सीमाञ्चल समदिया

2 दिन पहिले प्रकाशित

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उपेन्द्र भगत नागवंशी
      जनकपुरधाम–२४गते,बैशाख । ‘अनुशासन’ अपनाके अपने विधि सम्मत नियन्त्रणमे राखब आ दोसरोकेँ राखब लेल पालन कएल जायबाला विधि होइत छै । जाहि विधि–प्रकृयाकेँ मान्य सिद्धान्त अनुसार चलब–चलाएब तखने व्यक्ति, समाज विधिवत् अपन सीमा–दायरामे रहत राख’ सकत । ताहि हेतु स्वनियन्त्र हेतु अनुशासनकेँ पालन करब अनिवार्य आवश्यकता  मानव जीवनक अङ्ग होइछ ई मानिक चल’ पड़त ।

 

अनुशासन भङ्ग नइ करब आ विधिकेँ मानिक’ हरेक काज करबकेँ अपन तरहक एकटा नीयम होइत छै । ओ देश चलाब लेल, परिवार चलाब लेल, समाज चलाब लेल अथवा अपनेस’ अपनाकेँ चलाब लेल आवश्यक होइत छै । जीवन जगत एहि अनुशासनीक बन्हनस’ बन्हाक चलैत छै ! चलैत रहत आ चलैत रहक चाही !! कृयात्मकता हेतु प्रकृयागत नइ चलब अनुशासन हिनता कहाइत छै ।

 

अनुशासनहीन विधि–विधान, नीयम–निष्ठा कायम नइ कर’ सकैए । आ, जौ से नइ करसकत तखनि सबलता नइ आओत । राष्ट्र, समाज अथवा व्यक्ति कार्यगत सुलभता, सुथरता, सुरक्षितसाथ निमाह नइ सकैए । नइ निमाहल जाए तेहन वातावरणो बनाब सकैए । मुदा, हँ वातावरण संगीन, क्लेशयुक्त बनाबमे, उदण्डता बढ़ाबमे परम सहायक अवश्य होब’ सकैए । तहिस’ कहल स्वयं पर नियन्त्रण करब हेतु आ दोसरकेँ नियन्त्रणमे राखब हेतु सेहो अनुशासनक पालन मैरितो दम्मधरि करैत रहक चाही ।
    

 

ई समान्य नीतिगत सर्वमान्य सिद्धान्तक गप्प आजुक समयमे प्रायःलोककेँ नइ सोहाइत छै । ताहि ओजस’ हरेक ठाम व्यथिति, व्यविचार अराजकता अनियमितता दिनानुदिन देशमे बढ़ैत जारहल छै । केओ ककरोस’ कम नइ आ केओ ककरोस’ कम बुझहुबाला नइ भेटैत छै ; समाजमे तेहने सामाजिक परिवेश बनिगेल छै ।

 

 की करब, की नइ करब, की जग सुहावन आ सभक मोन भावन होएत ताहि दिश अखनुका समयमे समान्य विचारधरि लोक नइ पुंगाब सकिरहल छै । टटका उदाहरण नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी एमालेकेँ मिथिलानगरि जनकपुरधाममे बितल मङ्गलदिन भेल धनुषा जिलाक अधिवेशनक रुपरेखा आ दल ढोलकीयासभकेँ देखलास’ सहजे बुझल जासकैए अनुशासन कतेक आवश्यक आ अनिवार्य मानवीय धर्म होइत छै । जेकर हरेक हालमे पुरापुरी पालन कएल जाए चाही ।

 

 धनुषा जिला सदरमुकमा मिथिला मधेश प्रदेशके राजधानी जनकपुरधामके तिरहुतियागाछी स्थित महेन्द्रनारायण मिथिला सांस्कृतिक केन्द्रमे एमालेकेँ धनुषा जिलाधिवेशन आयोजित छल । मङ्गलदिन दुपहरियामे निर्वाचन प्रकृया सम्बन्धि विषयमे भेल त्रुटि सहभागीसभकेँ संशक्ति कएलक । दाइलमे किछु कारिया पड़ल हय…। बस ! फेर कि आपसमे टेनामेनी शुरु !

 

अधिवेषणमे सामेल होबलेल आएल एमाले कार्यकर्तासब अनेक अडकल निकालैत अपनेमे मारापीटी, गड़ा–गड़ौबल, उठा पटक करए लागल । कुर्सी फेका–फेकौबल, लाठी–फरहट्टा एक–दोसर पर बरसाब लागल । जेना पार्टीकेँ जिला अधिवेशन नइ भ’क’ प्रतिशोध साधब हेतु रण मैदान तयार भेल होए ।
  

 

पुरनका एमाले नेता रघुवीर महासेठ एवं नवका एमाले उमाशंकर अरगडि़या गुटबीच फूट भेला पर अधिवेशन स्थल युद्धक आखाड़ा होए  तेहनसन बनल देखाएल । प्रश्न उठैत छै देशके पैघ आ पुरान बामपन्थी पार्टी देश आ समाजकेँ उक्त घटना मादे कि शिक्षा दिय चाहलकैए ? अराजकता पसारब, अनुशासनहीनता देखाएब, दण्डहीनता अपनाएब,उदण्डता देखाएब के कथि कलेत !

 

आपसी मतमतान्त्रण होइत छै । आपसमे मतभिन्नता होएब बेजाय नइ मुदा शान्ति सौहार्दतास’ काज कएल जाय चाही । जखनि एहि दल आ दलीय लोकस’ सामाजिकप्राणीकँे, राष्ट्रके बेसी सरोकार रहैत छै । दलीय व्यवस्थामे दल आ ओकर नेता जे जनतास’ चुनिक शासन सत्ताकेँ भागडोर सम्महारैत छै, हुनकास’ बेसी अपेक्षा रहबे करैत छै जे अस्वभाविक नइ !

 

मुदा नेकपा एमालेकेँ जिला अधिवेशनमे मङ्गलदिनक घटना पुरापुरी ई सन्देश छिडि़यौलक अराजकता फैलाब सीखु, अनुशासन हिन बनु, लठम्‌लठ्ठा करु । घुस्सा मुक्का खाउ आ जुत्तोस’ जुत्तियाउ ! एहन दल एकर अगुवा की देश आ समाजकेँ सुधार सकैए ?

अनुशान, विधिक साशन कायम कर कराब सकत् जे दलके कार्यकर्ता अपने अनुशासित, मर्यादित आचरण प्रस्तुत नइ करहल छथि । तैँ दल ढोलकीया बाहेककेँ नागरिक समाज एहिपर गम्भिर विचार करए । एहन दल–दलीय दल ओकर ढोलकीया नेताप्रति सचेत रहए ।

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