भाषाआयोगके सिफारिस मुताविक प्रदेशके कामकाजी भाषा बनो

सीमाञ्चल समदिया

13 दिन पहिले प्रकाशित

145 पटक देखिएको

जनकपुरधाम । ‘मधेश प्रदेश सरकार मातृभाषा सम्बन्धि निर्णय पर दलीय दलदलके ओजेहस’ नइ पुग सकिरहल छै । ताहिप्रति असन्तुष्टि व्यक्त करैत भाषा आयोगक सिफारिस कएल अनुसार प्रदेशमे कामकाजी भाषा बनाओल जाय, ओ मांग पुनः कएलगेल छै ।
    

एतुका विभिन्न भाषा अभियानी समूह एवं अभियन्तासभ प्रदेशके कामकाजी भाषा सम्बन्धमे मधेश प्रदेश सरकार प्रमुख एवं सभामुखकेँ एकसंग आइ ध्यानाकर्षण कराबके काज कएने छै ।
  

 मधेश प्रदेशके मुख्यमन्त्री सतिश कुमार सिंह एवं मधेश प्रदेशसभाके सभामुख रामचन्द्र मण्डल समक्ष ज्ञापन बुझाक  मधेश प्रदेशमे भाषायी समस्याकेँ शिघ्रतास’ समाधान कएल जाए मांग अभियन्तासभ कएलाह ।

“किछु महिना पहिने भाषा आयोगके प्रतिवेदन–सिफारिस विपरीत मधेश प्रदेशसभामे भाषा विधेयक प्रस्तुत भेल छल । ओ विधेयक आपस भगेल । संघीय सरकारक आधिकारिक निकाय भाषा आयोग अनुसंधान पछाइत मधेश प्रदेशमे सभस’ अधिक बाजल जायबाला भाषा ‘मैथिली’ तेकराबाद भोजपुरी एवं बज्जिकाकेँ प्रदेशके सरकारी कामकाजी भाषा बनाओल जाय लेल सिफारिस  कएने छल ।

ओहि मुताविक प्रदेश सरकार नइ क्रीयाशील भरहल छै ।” मधेश प्रदेश सरकारक मुख्यमन्त्री  समक्ष भाषा आयोगक पत्र सब सहित अभियन्तासभ जनतब दैत मैखिक आग्रह आइ मङ्गल दिन कएलक ।

प्रतिउत्तरमे मुख्यमन्त्री बजलाह–‘‘प्रदेशमे जतेक भाषा बाजल जाइत छै ओ सबटाभाषाके समावेश क’क’ विधेयक तयार कएल गेल छै । शिघ्रहि प्रदेशसभामे लजाक’ पारित करब कहलाह ।
  

भाषा अभियानी रामरिझन यादव, उपेन्द्र भगत नागवंशी , मैथिली साहित्यकारसभाके बर्तमान एवं निवर्तमान अध्यक्ष क्रमशः अरविन्द कुमार यादव,प्रेम विदेह, भाषासेवी डा.रामसागर पण्डित सहितके अभियन्ता मुख्यमन्त्री समक्ष अपन अपन विचार राखैत संविधान प्रदत अधिकार मुताविक गठीत भाषा आयोगके आधारमे नामांकित भाषाके तत्‌काल प्रदेशके कामकाजी भाषा रुपमे सूचीकृत कएल जाय, मांग कएलाह ।  
  

 तेकराबाद मधेश प्रदेशसभाके सभामुख रामचन्द्र मण्डल समक्ष लीखित ज्ञापन–पत्र बुझाक भाषाआयोगक आधारमे मैथिली, भोजपुरी, बज्जिका भाषाकेँ प्रदेशक कामकाजी भाषा बनाओल जायकेँ मांग कएलाह ।
      

 

मैथिली साहित्यकारसभाके सभापाल(अध्यक्ष)अरबिन्द्र कुमार यादव,पूर्वअध्यक्ष प्रेम विदेह ललन,विद्यापति पुरस्कारकोषके पूर्वअध्यक्ष डा.रामसागर पण्डित, रङ्गवाटिका नेपालके कलानिर्देशक/अध्यक्ष एवं सीमाञ्चल सम्पादक उपेन्द्र भगत नागवंशी, मिथिला नाट्यकला परिषद्के अध्यक्ष परमेश झा, मैथिली विकास कोषकेँ अध्यक्ष जीवनाथ चौधरी, जनकपुर बौद्धिक समाजके संयोजक राघवेन्द्र प्रसाद साह, रामानन्द युवा क्लबके अध्यक्ष शशिभूषण झा, मैथिली साहित्य परिषद् सिरहाके अध्यक्ष शिवकुमार महरा, बृहत्तर जनकपुरक्षेत्र विकास परिषद्के कार्यकारी निर्देशक बैद्यनाथ पासवान, मैथिलीभाषा अभियानी एवं पत्रकार साहित्यकार रामरिझान यादव, पुनम झा मैथिल, सामाजिक अभियानी सबनम खातुन, पत्रकार साहित्यकार नित्यानन्द मण्डल, श्रीनारायण साह सहित १५ गोटे मैथिलीभाषा अनुरागीसभद्वारा संयुक्त रुपस’ दसख्त कएलगेल ज्ञापन–पत्र सभामुख मण्डलकेँ हस्तगत कएलगेल ।

 

“किछु महिना पहिने भाषा आयोगके सिफारिस विपरीत मधेश प्रदेशसभामे भाषा विधेयक प्रस्तुत भेल आ ओ विधेयक आपसो भगेल । ओ बात स्मरने होएत ! आइ मिति २०८२ जेष्ठ–६ गते मङ्गलदिन विभिन्न संघ/संस्थाके प्रतिनिधिसभ मधेश प्रदेशके मुख्यमन्त्रीसंग भेंटघांट कएलक । तखनि आभाष भेल कामकाजीभाषा सन्दर्भमे फेरस’ मधेशप्रदेशसभामे भाषाआयोगके प्रतिवेदन बिपरित पेश होएत ।” तहिस’ अपनेके ध्यानाकर्षण सेहो कराओलगेल बात सभामुखके सम्बोधन करैत कामकाजी भाषा सम्बन्धमे पेश कएलगेल ध्यानाकर्षण पत्रमे कहलगेल छै ।
  

 

 “नेपालक संविधानके धारा ७)२) आ ७(३) मे उल्लेख कामकाजी भाषा सम्बन्धि प्रावधान एवं भाषा आयोगके सिफारिस  अनुसार मैथिली, भोजपुरी आ बज्जिका भाषाके सरकारी भाषा होए, ओहन भाषा विधेयक प्रदेशसभामे विमर्श लेल प्रस्तुत कएल जाय” लेल पत्रमे ध्यानाकर्षण करबैत अनुरोध कएलगेल छै ।
  

 

सभामुख मण्डल पत्र बुझैत कहलाह–“देश विधि विधान, संविधान कानूनस’ चलैत छै । सरकार १३ टा आयोग गठन कएने छै ताहिमे एकटा भाषा आयोग सेहो छै ओकर निर्णय–आदेश सरकारके निर्णय आदेश छै ई मानिक चलक चाही । कोनो दल,नेताकेँ पसिन नइ भेने भावनात्मक रुपमे कानुन नीयम नइ बनाओल जाय चाही ओहि पक्षमे हमहुँ छी ।

 

तराई–मधेशमे गौरवशाली मान दायी भाषा मैथिली छै । मधेश प्रदेशके कामकाजी भाषा मैथिली, भोजपुरी, बनक चाही । बज्जिका मैथिली भाजपुरीउके मिश्रित बोली छै । जौं भाषा आयोग संख्यात्मकताक आधारमे ओहिकेँ सेहो प्राथमिकताकेँ क्रममे रखने छै तखनि कामकाजी भाषा बज्जिको होबक चाही । हम एहिमे प्रतिबद्ध छी आब सदनमे रहल दल दलके अगुवासभ की करैए ! से कहैत भाषा आयोगक सिफारिसे मुताविकके आधार पर प्रदेशके कामकाजी भाषा होएत ओ भरोस दियौलाह ।

यो खबर पढेर तपाईलाई कस्तो महसुस भयो ?