जनकपुरधामकेँ व्यवस्थित,सुरक्षित कएल जाय

सीमाञ्चल समदिया

4 दिन पहिले प्रकाशित

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उपेन्द्र भगत नागवंशी,
हमरासभक कायल्खन मङ्गलदिन बैशाख–२३गतेक जानकी नओमी माने सीताजीके जन्म जयन्ति छै । आइस’ सात हजार एक सय पैत्तासिल वर्ष पहिने,ईशापूर्व ५१२० बैशाख शुक्ल नओमी तिथिक जनक नन्दनी जानकी भूमिके गर्भस’ अवतरीत भेल छलीह ।

 

जगदम्बा जानकीके प्रकाट्य स्थल पुण्यारण्य क्षेत्र छल । जे वर्तमान आधुनिक भारतके सीतामढी लगमे पुनौराधामस’प्रसिद्ध छै । भारत सरकार अरबो टाका लगानी क’क’ धार्मिक पर्यटककेँ रुपमे पुनौराके विकसित करए पर लागि गेल छै ।

 

मुदा हमसभ  हमरसभकेँ देश–समाजक लोक जानकीक लीला भूमि, जनक महाराजक राजधानी नगरमे प्राचीन महत्वक ऐतिहासिक स्थानकेँ  देखनहुत बनाब नइ सैक रहल छै । जाहिस पर्यटक आइबक दूचारिदिन जनकपुरधाममे बिलम सकैए ।

 

नेपालक दक्षिणी पड़ोसी देश ‘भारत’मे अन्तः रामजन्मभूमि पर मर्यादा पुरुषोत्म रामचन्द्रजीक भव्य दिप्य मन्दिर निर्माण काज पुरा भेल । रामजन्मभूमिक लकऽपाँचसय वर्षस’ अधिक समयस’ चलैत आएल बिवाद शान्त भगेल ।

 

भारतक उत्तर प्रदेश राज्यक अयोध्या नगरमे मन्दिर निर्माण पछाइत भव्य समारोहबीच भगवान रामक प्रतिमाक प्राण–प्रतिष्ठाक काज पूर्ण भेला पर २२ जनवरी सन् २०२४क मन्दिरके उद्घाटन भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी कएने छलाह ।
      

 भारतमे भारतीय जनता पार्टीक बहुमतीय सरकारक प्रधानमन्त्री ‘नरेन्द्र मोदी’ नेतृत्व एवं दूरदर्शिता सार्थक सिद्ध भेल । जौं भारतमे भारतक प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी नहि रहितथि तखनि रामजन्मभूमि विवाद समाधान नहि होइत आ रामजन्मस्थल पर भव्यमन्दिर निर्माण काज पुरा सेहो नहि होइत ।

 

राममन्दिर निर्माणमे एकहजार चारिसय कड़ोर भारतीय मुद्रा व्यय भेल । श्रीरामक बाल्य–अवस्थाक प्रतिमा प्राणप्रतिष्ठास’ फेर संसारमे सनातन धर्म–संस्कृति,सनातनी हिन्दुसमाजक संस्कार–व्यवहारक ऊँच्चध्वज लहराएल अछि । एहिशताब्दिक महान गौरवपूर्ण काज भारतमे भेल अछि, जे भारतक मात्रे नहि करोड़ो सनातनधर्मक जग बसाबट समेत भेल अछि ।
    
            

देशक नेतृत्वकर्ता देशवासीक भावना अनुरुप चलए, हुनक गौरवान्वित करए जोगर काज होए तखनि ने देश–समाज गौरवान्वित होबऽसकैए । एकटा सबल देशक सांस्कृतिक परम्पराक गौरवपूर्ण इतिहासकेँ गर्वोन्तकर्ता सबल पड़ोसी देशक काजस’ लगपासक देश समाज सेहो गर्वोन्त होइत अछि ।

 

हमसभ नेपाली तेहने सबल पड़ोसी देशक पड़ोसमे छी । भारतक दिव्यकृतिमान कार्यस’ हमरोसभकेँ सीख लेबक चाही । सबस’ पैघ आ महत्वपूर्ण सीख–शिक्षा ई लेबक चाही–देशक नेतृत्वकर्ता नेकदिल होए,दूरदर्शी होए,नेचरस’ प्रेम करैत होए, नैतिकवान, चरित्रवान, इमान्दार होए; नेत आ नीति साफ होए त’ समाज–संसारक मोहार बदैलक राखल जासकैए ।
        

 

आजुक आधुनिक कहाबबाला समाजक लोक कहैत छै–‘एतेक टाका लगाकऽ मन्दिर निर्माण कराएब कोन तुक ? अखनो बहुत लोक कहैत रहैत छै । एहन सोंच–विचार बदल पड़त अहू दुवारे धार्मिक कृत मादे सेहो आर्थिक विकास कएल जासकैए, अयोध्या एकर नीक आ टटका उदाहरण अछि । अपन धार्मिक पहिचान रहत तखने नाम होएत, सम्मान भेटत आ गुमान करब ।

 

रहल आर्थिक  कारण अखनुका समयमे धर्म–धार्मिक कृत मादे आर्थिक विकासक प्रचूर सम्भावना अछि । मिथिला नगरि जनकपुरधाम ओहिस’ कनेको पाछु नइ अछि मात्र ओहन सोंच हमरासभकेँ खाशक सत्तामे बैसल लोककेँ राख पड़त ।
        

 

भारतक अयोध्या जत’ रामजन्मभूमि पर मन्दिर बनाओल गेल, ओ अयोध्या किछुए वर्षमे पैघ शहर भजाएत । मानव सभ्यताक फेरस’ नवऊर्जावान गतिशिलता देबबाला भूमि बनत ।

 

हमरसभक देश नेपाल, प्राचीन विदेहदेश–मिथिला प्रदेशमे राजधानी जनकपुरधाममे तत्कालीन अयोध्यानरेश ‘दशरथ’, हुनक पुत्र राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुध्नक बियाह मिथिलाधिपति शिरध्वज जनक एवं हुनक भाय कुशध्वज जनकक पुत्री सीता, उर्मिला, माण्डवी, श्रुतकीर्तिसंग भेल । ओ सबटा स्थान सुरक्षित अछि ।

 

ओ स्थलसभकेँ व्यवस्थित करब त’ पर्यटन प्रवद्र्धन होएत । जनकपुरधाममे तिर्थयात्री पधारत आ आर्थिक समृद्धिक नव केवारसभ खुजत मात्र इच्छाशक्ति होबक चाही आ राज्यक ध्यान केन्द्रित होबक चाही ।
      

 

 प्राचीन मिथिला राज्यक राजधानी नगर जनकपुरधाममे त्रेतायुगक बहुतराश साक्ष्य विद्यमान अछि । ओ प्रचीनस्थल जतऽ महिनो राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुध्न अपन–अपन पत्नीसंग निवास कएने छलाह । जनकक धनुषयज्ञमे सामेल होबऽ आएल बिश्वामित्र, रामचन्द्र एवं लक्ष्मणजी महिनो दिन रहला पछाइत ।

 

अयोध्यास’ राजादशरथ बरातीसंगे अएलाह । जाहिमे ऋषि बशिष्ठ, जावालि, देवर्षि नारद सहित अनेकन ऋषि–मुनि, राजा आदि सिद्ध साधकसभ छलाह । विवाहसमयमे आधावरिष जतेक समयधरि जनकक आतिथ्यमे जनकपुरधाममे रहैत गेलाह । इतिहास पुराणस’ एहितथ्यक पुष्टि होइत अछि ।
        

 

जनकपुरधामक जाहिस्थानमे ओसभ रहलाह; ओ चिन्हित स्थानसभकेँ समयानुकूल पहिचान कऽकऽ आओर नहि तऽ राम–सीता, लक्ष्मण–उर्मिला, भरत–माण्डवी, शत्रुध्न–श्रुतकीर्तिक, कोहवर–माड़र भेल स्थान, तथा दशरथ, ऋषि बशिष्ठ, बिश्वामित्र, जाबालि, शतानन्द, शिरध्वज जनक, कुशध्वज जनक, सुनयनाक स्थान पर भव्य–दिप्य प्रतिमासभ स्थापना कऽकऽसुन्दर देखनहुत आकर्षक भव्य मन्दिरसभ निर्माण कएल जाय ।
      

 

 शिशमहल जानकी मन्दिर प्रसिद्ध छैहे । लोक किछुए समयमे आविक दर्शन करैत भगैए । राम–सीता वा हुनक परिवारजनस’ जुड़ल स्थानसभ पर आन मन्दिर बनत त’ लोक ओतहु जाएत, देखत नयन जुड़ाएत आ जनकपुरधामक पर्यटन प्रवद्र्धनमे बृद्धि होएत । एहिस’ आर्थिक समृद्धिक नवद्वारक केबार खुजत ।

 

जनकपुरधामक धार्मिक पर्यटनक्षेत्रक विकास होएत । सांस्कृतिक थप पहिचान आ समृद्धिक बृद्धि होएत । बस शासकवर्गकेँ एहिलेल मस्तिष्क खुजल राखिक पहल करब आवश्यक अछि ।

 

संघीय सरकार करए नहि करए प्रदेश सरकार, स्थानीय सरकार चाहत त’ अपनो कर’ सकैए । एहन नेक जनप्रशंसनीय काजस’ जनकपुरक्षेत्रक अन्हारमे रहल प्राचीनस्थलक भूमि अतिक्रमण चपेटमे पड़स’ रुकि जाएत । संरक्षित–सुरक्षित होएत एवं बहरिया शहरियास’ अतिक्रमण होबस’ समेत जोगल रहत ।

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