जानकीके गाम,नाम आ सिन्धु सभ्यता

5 दिन पहिले प्रकाशित
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उपेन्द्र भगत नागवंशी
हमरासभक देश–‘नेपाल’ जत’ प्राचीन मिथिलोक्षेत्र अछि ! वर्तमानमे जाहि भूमिमे हमसभ रहैत छी ओ भूमि हिमालयस’ दक्षिण, गङ्गानदिस’ उत्तर हिमाल–पहाड़, रमणीय तराई भू–भाग, खेत–खरिहान,लहलहाइत वन–बनस्पति, कलकल–छलछल करैत बहैत बिशाल, मध्य आ छोट–छोट अनेक पवित्र नदीस’ सिंचित; मानव–अन्तकरणकेँ सम्पोषित करैत आएल गौरवशाली भूमि अछि ।
पूर्व–पश्चिममे विशाल मैदानी भू–भागमे बसल अनेक नगर, गाम एवं प्रसिद्ध जलधाराबीचक परतीमे रहैत–बसैत आएल छी । जे हम्मरसभकेँ मान–पहिचान, सम्मान प्रदायक संसार प्रसिद्ध परम–पवित्र भूमि अछि ।
सभ्यताक विकासक्रमक बात कएल जाए त’ हमसभ सिन्धुघाटी सभ्यतास’ साम्य राखैत छी । ओहि सांस्कृतिक अभिष्ठ हमरसभक जीवन पर केन्द्रित अछि । ओहि दर्शनकेँ अनुशरणकर्तो छी । ताहिस’ हमरसभक पुर्खा सिन्धु सभ्यताक देव, ऋषि–महर्षिक सन्तान अपनाकेँ सगौरव मानैत आएल अछि !
अखनु सिन्धु नदिक चर्चा बडबेसी भरहल छै । कारण नेपालक सबल मीत्रराष्ट्र ‘भारत’ सिन्धु जल सम्झौताकेँ एकतर्फा रुपमे रद्द करैत ‘पाकिस्तान’दिस जाएबाला नदिक पानि बन्न करब काज कएने छै ।
भारतक काश्मीरमे घुमगेल पर्यटकसभ उपर अतितायी बनुकधारीसभ धमृ सम्प्रदाय पुछिपुछिक हिन्दु छी कहला पर गोली दागिक मारैत गेल । एक्कहि दिन–समयमे २८गोटे निहत्था हिन्दुधर्म मानएबाला लोककेँ कएलगेल हत्यामे एकगोटे बूटबल निवासी नेपाली नागरीक सेहो मारलगेल ।
भारतीय खुफिया एजेन्सी सहितक दाबा अनुसार पाकिस्तानी आतंकी समूहद्वारा पठाओलगेल पाँचटा बनुकधारी आतंकीसभ काश्मीरक प्रसिद्ध पर्यटकीय स्थल पहलगाममे पर्यटकसभकेँ हत्या कएलक ।
तहिस’ भारत सरकार पाकिस्तानस’ सबतहरक सहमति सम्झौता, सम्बन्ध तोड़ैत आतंकी राष्ट्र पाककेँ मानिक सबक सीखाएब हेतु कम्मर कसिक भारत लागल छै ओ विभिन्न समाचार मादे जनतब भेट रहल अछि ।
एहिसभमादे सिन्धु जल सम्झौता रद्द करब पाकिस्तानकेँ आर्थिक रुपस’ डाँर तोड़ब काज मात्रे नइ होएत । बून्द बून्द लेल तड़पैत लोक जल अन्नबिनु मर पर बाध्य बनत ।
तहिस’ सिन्धु नदि ओकर जलके महत्व अखनु हरेक न्युज च्यानलक प्रमुख खबर बनैत आएल छै । एहि सिन्धुनदि कातस’ मानव सभ्यताक विकासक्रम माने सिन्धु सभ्यता आगु ससरल छै । जे नदि हिमालयस’ बहराइत छै । एकर अप्पन तरहक खाश पहिचान अखनो अछि ।
प्रागैतिहासिक युगस’ वर्तमान आधुनिक विज्ञानवादी युगधरिमे अनेक चमत्कारी परिवर्तन जीवनशैलीमे करैत अएलाक बादो हमरासभक मूल कर्म–धर्म सिन्धुघाटी सभ्यता अनुकूल अछि । समाज–विकास ओहि प्रेरणास’ बढ़ैत फलित होइत आएल अछि ।
सिन्धुघाटी–सभ्यता, सिन्धु–नदी एवं एहिसंग बहैत आयल सहायक नदीक्षेत्रक भू–भाग रहल अछि । एहिसभ्यताक निश्चयात्मक तिथि नहि कहल जासकैए । उपलब्ध साहित्यिक साक्ष्यक आधार पर विद्वजन सिन्धुसभ्यताक काल ईशापूर्व २८००–२५०० वर्ष पहिनेकेँ मान्य कएने छथि । ऋषि–मुनि, तपस्वी विभिन्न स्थान पर अपन आश्रम स्थापित कऽकऽ अपन–अपन धर्म–प्रचारमे लगलाह ।
एहे बैशाख–२३गते जनकनन्दनी जानकी–सीता माताकेँ जन्मोत्सव अछि । जानकी नओमि तिथि दिन माता सीता पृथ्वीस’ अवतरित भेल रहथिन । त्रेतायुगमे आइस’ सात हजार वर्ष जतेक समय पहिने भेल छल । भारत चेन्नैइ(मद्रास) स्थित ‘भारत ज्ञान’ शोध संस्थानक दाबी अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम रामक जन्म ईशा पूर्व ५११४ इश्वीमे १० जनवरी दिन भेल ।
सीयापति रामचन्द्र जीक विवाह भेल समयमे हुनक आयु १२ वर्षक छल । तहिना जनकदुलारी सीताक आयु मात्र ६ वर्ष । छओवर्षमे माता सीता विवाह योग्य भगेल छलीह ।
आब रहल भूमिपुत्री जनकदुलारी सीता–जन्म प्रसंग ! सीताजी वियाह पछाइत १२ वर्ष सासुरमे रहलाबाद सीता–रामक वनबास भोग पड़लनि । वनवासयात्रामे बहरएला पर रामजीद्वारा मारिच(मायावीहरिन)केँ बध कएल गेल ।
सीताक रावणद्वारा हरण कएलगेल समयमे सीता आ राम पूर्ण बयसक छलाह । बाल्मिकी रामायणमे एहि विषयक वर्णन आयल अछि । जाहि अनुसार ओहि समय रामजी २५ एवं सीता १८ वर्षक आयु पार करहल छलीह ।
एहि हिसाबे सीताजीक जन्मतिथि ठहरैत छै–ईशापूर्व ५१२० बैशाख शुक्लनओमी तिथि,अर्थात् सीता–रामक आयुमे आधा–आधिक फरक अछि । एहिविषयक चर्चा अयोध्यावासी प्रसिद्ध वेदान्ती सूरदास ‘रामभद्र’जी महाराज सेहो कएने छथि ।
विदेह देशमे आकाल पड़ल छल । जनता त्राहिमे छल तखन गणव्यवस्थाक पक्षधर तात्कालीन विदेहपति मिथिला नरेश शिरध्वज जनक(द्वितीय) जनताक आग्रह पर अकालस’ मसक्ति पाबक लेल हर चलौलाह ।
हर जोतैत काल भूमिक गर्भस’ एकटा तौलामे फार लागल ओ ओ तौला फूटल ओहिमेस’ बालिका सीता प्रकट भेलीह । इन्द्र देव प्रसन्न भेलाह आ घनघोर वर्षा भेल । बारह वर्षक अकालस’ लोक मुक्ति पौलक ।
शिरध्वजजनक हर जोतने स्थान प्राचीन ‘पुण्यारण्य’ आ वर्तमानमे सीमापार बिहार राज्यके सीतामढी जिला सदरमुकाम स्थित पुनौरा नामक स्थान छिऐ । जतह जानकी सीता जन्म ग्रहण कएने छलीह । बृटिशकालीन भारतमे सन् १८१६मे अंग्रेजसंगे सुगौलीमे सन्धी होब’स’ पहिनेधरि नेपाले अधिन छल, अखनु ओ क्षेत्र भारतमे अछि ।
गोस्वामी तुलसीदास श्रीजानकी–चरितामृतम्मे श्रीकिशोरीजीके द्वादश नामके, विशेष वर्णन,एहि तरहें कएने छथि—
मैथिली जानकी सीता वैदेही जनकात्मजा ।
कृपापीयूषजलधिः प्रियार्हा रामवल्लभा ॥
सुनयनासुता वीर्यशुक्लाऽयोनी रसोद्भवा ।
द्वादशैतानि नामानि वाञ्छितार्थपदानि हि ॥
१. मैथिली—मिथिवंशमे सर्वोत्कृष्टरुपस’विराजनिहारि शिरध्वज राजदुलारीजी ।
२. जानकी—श्रीजनकजीक भावक पूर्तिलेल हुनक यज्ञवेदीस’ प्रगट होबबाली ।
३. सीता — आश्रितसभक हृदयस’ सम्पूर्ण दुःखसभक मूल दुर्भावनाकेँ नष्ट कए
सद्भावक विस्तार करएबाली ।
४. वैदेही— भगवान् श्रीरामजीक चिन्तनक तल्लीनतास’ देहकँे सुधि बिसरि
जायबाली शक्तिशालीसभमे सर्वोत्तम ।
५.जनकात्मजा—सीरध्वज जनक महाराजक पुत्री–भावकेँ स्वीकार कएनिहारि ।
६. कृपापीयूषजलधिः—समुद्रजकां अथाह एवं अमृत सदृश असम्भवकँे सम्भव।
कए देब’बाली कृपास’ युक्त ।
७. प्रियार्हा— जे प्रेमके योग्य आ प्रेमी श्रीरामभद्रजी जिनकालेल योग्य छथि ।
८. रामवल्लभा— जे श्रीराघवेन्द्र सरकारक परम प्यारी छथिन ।
९. सुनयनासुता—श्रीसुनयना महारानीक वात्सल्यभाव–जनित सुखकेँ नीकजकां विस्तार कएनिहारि ।
१०.वीर्यशुक्ला— शिवजीक धनुष तोड़के शक्तिरुपी निछावरे वधूरुपमे जिनकर प्राप्तिक साधन छै अर्थात् जे भगवान शिवजीक धनुष तोड़बाक शक्तिरुपी निछावर कर’ सकत, हुनकेसंग जिनकर विवाह होएत ।
११.अयोनि— कोनो कारण विशेषस’ प्रगट नहि भ’क’ मात्र भक्तक भावपूर्ण करबाकलेल अपन इच्छा अनुसार प्रगट भेनिहारि ।
१२.रसोद्भवा—जन्मेस’ अपन अलौकिकता व्यक्त करबाकलेल कोनो प्राकृत शरीरस’ प्रगट नहि भ’ पृथ्वीस’ प्रगट भेनिहारि । ई बारह नाम मनचाहल सिद्धि प्रदान करएबला अछि ।