लोकतान्त्रिक अभ्यासके पूर्णतामे भारतक सहयोग अनिवार्य–पूर्वराष्ट्रपति डा.यादव

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जनकपुरधाम–९गते,बैशाख । “प्रकृतिके वरदान जाहिरुपमे हमसभ प्राप्त कएने छी ओहिरुपमे बचाबदिश नइ लाइग रहल छी । जाहिस’ हमरसभकेँ जीवन संकटमे पड़ैत जारहल छै । नेपाल आ भारतके ई संंझिया मुद्दा छै । दुनू देशकेँ मीलक एहि दिशामे काज करब बेगरता छै”! संघीय लोकतान्त्रिक देश नेपालके पहिल राष्ट्रपति डा.रामवरण यादव एतह कहलाह ।
‘नेपालके समृद्धिमे भारतके भूमिका’ विषयक विचार गोष्ठीमे प्रमुख अतिथिके रुपमे पूर्व राष्ट्रपति डा. यादव मङ्गलदिन सहभागी छलाह । अपन धारणा राखैत बजलाह–“स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास आ भोजन सहज आ सुलभ रुपमे सबजनताकेँ उपलब्द्ध भजाए ! तखने सबल लोकतान्त्रिक अभ्यास पूर्ण मानल जाएत ।
अपन देशके संगेसंग सहयोगी योगदानी देशके योगदानो तखने सार्थक सिद्ध मानल जाएत । मात्र बोली नारामे समृद्धिकेँ गप्प कहलास’ पूर्णता नइ होब’ सकैए” सेहो धारणा ओ रखलाह ।
“नेपालके २००७साल,०४६, ०६२–०६३ सहित हरेक परिवर्तनमूलक आन्दोलनमे भारतकेँ सहयोग सद्भाव रहैत आएल ।” प्रमुख अतिथिक रुपमे अपन विचार रखैत सबके खुशीहाल रहत,लोक तनाव मुक्त रहत तखने लोकतन्त्रोकेँ सम्मान होएत आ राष्ट्र समृद्धशाली मानल जायत । जनअपेक्षा कुण्डित रहब लोकतन्त्रप्रतिकेँ व्यवस्थाकारके पैघ कमजोरी मानल जाएत । एहिदिशामे ध्यान देब आवश्यक छै ।
लोकतन्त्र निष्ठा आ जनताप्रतिके जवाबदेही पुरा करब लेल मुख्यतः प्रभावकारी व्यवस्था होइत छै । एकर दोसर कोनो बिकल्प नइ होब’सकैए । तैँ आब सुधारोन्मुख लोकतान्त्रिक व्यवस्थाके दरकार छै । एहिमे सम्बन्धित राष्ट्र(भारत)सहयोग करो सेहो आश्य पूर्वराष्ट्रपति डा.यादव व्यक्त कहलाह ।
मधेश प्रदेशसभाके सभामुख रामचन्द्र मण्डल नेपाल भारतक सम्बन्ध सहयोग वैदिक कालस’ रहल भगवान राम सीताक समयस’ सम्बन्ध प्रगाढ होइत आएल तर्क देलाह ।
–“सुगौली सन्धी सन् १८१६मे भेला पछाइत नेपाल सही अर्थे सार्व भौ अधिकार प्राप्त बनल जेकर प्रयोग करके दिशामे आगु बढ़ला पर अड़गासब लगैत लगबैत आएल ताहि तरहक काज नइ होए ताहिमे दुनूदेशक भल छै । सभामुख मण्डल सेहो खुलस्त धारणा रखलाह ।
मधेश प्रदेशके मुख्यमन्त्री शतिस कुमार सिंंह–“नेपाल–भारतके मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध आइस’नइ अतिप्राचीन कालहिस’ रहैत आयल छै । एहि सम्बन्धकेँ जे सेतु भगवान राम आ माता सीताके सम्बन्धस’ बन्हाएल ओ चीरकालधैर चलैत रहत ।
हमसब दुनूदेशकेँ समृद्धिक काना करैत ओहि अनुकूल शासनतन्त्र चलाबैत रहब तहिमे निरगर रुपमे सबकिछु आओर आगु उभैरक आओत’’ कहलाह ।
विचार गोष्ठीमे राष्ट्रिय मुक्ती पार्टीके अध्यक्ष राजेन्द्र महतो अपन धारणा राखैतकहलाह –“जाबतधैर शासकीय तन्त्रतमे सुधार नइ होएत । शासकीय मानसिक्ताके लोक खोखला राष्ट्रवादक परिभाषा नइ बदलत देश समृद्ध नइ होब सकत चाहे कतबो कोनो राष्ट्र सहयोग कदिए” ।
समृद्धि कियक आ केकरा लेल ? समृद्धि जनजीवनस’ जुड़ल विषय छै । गोली चलाक संविधान बनाक लागु कदेल जकाँ मूँहस’बाजि लेलास’ समृद्धि नेपाल खुशी नेपाली नइ भसकैए ।”
नश्लिय चिन्तन, नश्लिय सोंचस’ मुक्त नइ होएत ताबतधैर समृद्धिक कल्पणो पुरा नइ होब’सकत । एहि शब्दकेँ नाम पर धोखाधरी बइमानी भरहल छै आ आर्थिक दुर्गतिक कारण सेहो बनल छै ।
भ्युटाबर आ पाथिभरामे लोककेँ मारिक केबलकार बनौलास’ समृद्धि अएतै ? एहिस’ लोकमे निराशा बैढ़रहल छै । सेहो तर्क नेता महतो अपन सम्बोधन क्रममे देलाह ।
भारतीय महाबाणिज्य दूत देवीसहाय मणिा भारत नेपाके सम्बन्धके व्याख्या करैत खरहि तहिमे नेपालक शिक्षा,स्वास्थ्य, संस्कृति, सड़क सञ्जाल, तटबन्ध,हाइड्रोपावर प्लान्ट निर्माणकेँ क्षेत्रमे भारत सरकारक निरन्तर सहयोग होइत आएत तथ्यांक प्रस्तुत कएलाह ।
सन् २००३ स’ वर्तमानधैर भारत सरकारकेँ सहयोगस’ ५७५ परियोजना मादे हालधैर पाँचसयस’अधिक योजनाके काज पुरा भचुकल छै । एक हजार नओटा एम्बुलेन्स प्रदान कएलगेल छै ।
दलकी अएला पर सभस’ पहिने मानवीय उद्धार आ सहायता भारत सरकार मीत्र मिशनके अन्तर्गत पुरा कएने छै । सेहो तथ्यगत जनतब महाबाणिज्य दूत मिणा जनतब देलाह ।
स्वतन्त्र युवा प्रजातान्त्रिक संघ नेपालकेँ आयोजनमे एवं एकर मुखयकर्ताधर्ता अरबिन्द महतोकेँ सभापतित्वमे कार्यक्रम आयोजन कएलगेल छल । विचा् गोष्ठीमे प्रा.डा. उद्द्व पािेखरेल ‘नेपालके राजनीतिक भाष्य’ विषयक कार्यपत्र प्रस्तुत कएलाह । जेकर शोरपोंर गाछक सोंरिजकाँ छिरियाएल छल । कार्यपत्र बान्ह– कसल नइ छल । तैँ तथ्य निचोर बुझएमे नइ आएल ।
विचार गोष्ठीमे प्रा..डा. भोगेन्द्र झा एवं मधेश प्रदेशकेँ महान्याधीवक्ता सुरेन्द्र कुमार महतो नेपाल भारतक सम्बन्ध एवं नेपाली राजनीतिक एवं शासकीय मानसिकताबादी सोंचक राजनीतिकर्ता विषयमे ऐना जकाँ झलझलाएत शब्दचित्रण क’क’ सहभागीसभबीच उत्साह भड़ला आ प्रतिउत्तरमे थपडि़के गडगड़ाहटस’ प्रशंसा हँसोतलाह ।
नीति आयोगक पूर्वउपाध्यक्ष प्रा. भोगेन्द्र झा–“नेपाल–भारतकके नैसर्गिक आ प्रवाहित सम्बन्ध जे छै ओ सम्बन्ध भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोती आ नेपाली प्रम केपी ओलीकेँ मेहरवानीस’ नइ छै । भारत राजनीतिक सहयोग करब नीतिमे सुधार करो ।
भारतक सरकारद्वारा देल जाएबाला शैक्षिक, सांस्कृतिक आदि सहयोग राजनीतिक व्यक्तिके आग्रह पर पहुँचल लोककेँ देलास’ कोनो सुफल नइ भेट रहल छै ।
भूमिस’ जुड़ल, जिनका दरकार छै तेहनके सहयोग होए, ओहन नीति अख्तियार कएल जाय । भारतीय महाबाणिज्य दूतके संकेत करैत प्रा.झा सुझाब देलाह ।
नेपालमे राजनीतिक स्थीरता कायम होए तेहन पहल करब सबल परोसीके काज सेहो होबक चाही । तखने अहूके आ हम नेपालीकेँ सेहो उद्देश्य पुरा होएत ताहु बात दिश प्रा. झा ध्यानाकृष्ट करौलाह ।
‘राजा आउ देश बचाउ’ नेपालमे नारा लागि रहल छै । जाहिमे भारत सरकारकेँ भरपुर सहयोग छै एहन आबाज ऊइठ रहल छै । कि ई सत्य छै ?लोकतन्त्रके बिकल्प राजतन्त्र छै से अहूँ देखब चाहैत छिऐ ?? जौं से नइ त’ जे भाष्य सृजना भरहल छै ओ प्रष्ट कएल जाय चाही, एहिस’ भारतके छबि खराब भरहल छै । अहू विषय दिश प्रा. झा ध्यानकर्षण करौलाह ।
तहिना .विचार गोष्ठीमे महान्यायाधीवक्ता सुरेन्द्र महतो अपन विचार राखैत नेपाल–भारत ई द्रूटा देश मात्र पड़ोसी नइ छै । दूनु देशके नागरिककेँ ‘जेनेटीक’(नश्ल) एक छै । राजनीतिक बाहेकेँ सबटा सम्बन्ध एक्कहि छै । बोली भाषा सबटा !
एहि पार बाजबाला मैथिली, भोजपुरी, अवधि आ ओहि पार बाजबाला एहे भाषासब एक छै । हिन्दी भाषा सेहो नेपाली भाषा छै । नेपाली–हिन्दी संगेसंग बढ़ल–पलल भाषा छै । सेहो धारणा महान्यायधीवक्ता अधिवक्ता महतो रखलाह ।
विचार गोष्ठीमे नेपाली काँग्रेसक उपसभापति धनराज गुरुङ्ग–“शिक्षा, स्वास्थ्य निशुल्क कदेला पर नेपालके सब व्यथिति दूर भजाएत” से तकृ देलाह ।
भारतमे नेपालके राजदूत रहि चुकल प्रा..लोकराज बराल–‘ नेपालमे दलित उत्थानकेक्षेत्रमे भारत सरकारकेँ सहयोगात्मक काज करक चाही”’ सुझाब अपन सम्बोधन मादे देलाह ।