सीमाञ्चल समदिया,
जनकपुरधाम । देशमे बहुमतके सरकार गिराक प्रधानमन्त्री खड्कप्रसाद शर्मा ओली (के.पी.ओली) नव इतिहास कायम करब लेल नवका खेल खेललाह । लोकतान्त्रिक चरित्र आ चिन्तनस’ विपरित दिशामे देशके लजाएब तकर संकेत अइस’ भेटैत छै ।
मन्त्रीपरिषद्के निर्णय आ सिफारिसके आधारमे राष्ट्रपति समक्ष पठाओल पत्रानुसार संसद बिघटन कएलगेल छै । नव निर्वाचनक तिथि समेत निर्धारण कएलगेल जनतब राष्ट्रपति कार्यालयव्दारा जारी पत्रस’ पुष्टि भेल छै ।
रष्ट्रपति श्रीमति विद्यादेवी भण्डारी नेपालक संविधान-२०७२के धारा ७६ के उपधारा १ आ ७ एवं धारा ८५ अनुसार वर्तमान संसदके बिघटन क’क’ टटका जनादेश प्राप्ति लेल जनसमक्ष जाएल जाएलेल, कहने छै ।
संविधानक उल्लेखित दफा उपदफासभकेँ उल्लेख करैत-‘‘संसदीय प्रणालीके आधारभूत मर्म एवं मूल्यमान्यता आ अपन एवं अन्य संसदीय प्रणालीबाला देशसबहक अभ्यास अनुसार संघीय संसदकेँ वर्तमान प्रतिनिधिसभा बिघटन कएलगेल छै ’’ ! टटका जनादेश हेतु नेपाली जनता समक्ष जाए लेल समय निर्धारण कएलगेल जनतब सार्वजनिक कएलगेल छैथ ।
जारी सूचना अनुसार ‘‘ २०७८ साल बैशाख-१७ गते, शुक्रदिन पहिल चरणमे एवं २७ गते दोसर चरणमे निर्वाचन सम्पन्न कएल जाएत’’ कहल गेल छै । मन्त्री परिषद्के सिफारिस आधारमे प्रधानमन्त्रीव्दारा सिफारिस कएलगेल अनुसार प्रतिनिधिसभा बिघटन एवं नवका जनादेश प्राप्ति हेतु निर्वाचन तिथि घोषणा कएलगेल छै ।’’ राष्ट्रपति कार्यालय शितल निवासक प्रवक्ता बद्रिनाथ अधिकारी हस्ते जारी पत्रमे उल्लेख छै ।
नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी(नेकपा) अध्यक्ष समेत प्रधानमन्त्री केपी शर्मा ओली रहल छैथ । अपन दलभित्रक बिग्रह,उत्पाद सम्हारब नइ सकलाह । जनमतक बेस उपहास उड़बैत बहुमतिय सरकारकेँ पाँचवर्षक कार्यकाल पुरा करब कराएबमे पुरापुरी अक्षम सावित भेलाह ।
बीच्चेमे संसद बिघटन करब काजस’ संसारमे फेरस’ नेपालक लोकतान्त्रिक छबी धब्बादार उजागर भेल छै ।
संगहि नेपालके विभिन्न दलके नेताकेँ नाम पर बट्टा लगाबक काज सेहो अइ कार्यस’ भेल छै । जे इतिहास रचब काज ओली कएलाह ओ लोकतन्त्रके कंलंकित करब जोकर छै, भविष्य कहियो क्षम्य नइ करत ।
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