सत्य आनन्दके श्रेष्ठदेव श्रीकृष्ण एवं वासुदेव-कृष्ण सम्बन्ध

२०७८ भाद्र १४, सोमबार ०७:११
सीमाञ्चल समदिया

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उपेन्द्रभगत नागवंशी,
सीमाञ्चल समदिया, जनकपुरधाम । आइ सोमदिन-१४गते, भादव कृष्णपक्ष आमाबश्या दिन छै । आजुके दिनमे व्दापरयुगमे वर्तमान भारतके मथुरा-बृन्दावनक्षेत्रमे भगवान श्रीकृष्णके जन्म भेल छल ।

हुनक जन्मोत्सव हर्षपूर्वक संसार भैरमे सनातन हिन्दुधर्म मानबाला समुदायक लोक मनबैत छै । मिथिलानगरि जनकपुरधाम सीताराममयक्षेत्र होइतो भगवान श्रीकृष्णकेँ सेहो ओहने पवित्रता गरिमाकेसंग लोक पुजा-आराधना श्रद्धाभावस’ करैत छै ।

जनकपुरधामके रेलटीशन पर पचासवर्ष पहिनेस’ कृष्णाष्ठमीके भव्य मेला आयोजन होइत आएल छै । आकर्षक माटिक प्रतिमासभ बनाओल जाइत छै । अइबेर कोरोना महामारीके कारण फेर कनेक प्रभावित भेल छै ।

प्रशासनीक आदेश रोक लगौने छै । तथापि स्वास्थ्य सुरक्षाके ध्यान राखैत आयोजन भेल छै । जनकपुरपरिक्रमाक्षेत्रके वाहर कोनो देवताके पुजन परम्परा करब प्रावधानके निमाहल जारहल छै । किएक त’ स्वयं जगदम्बा जानकी माता सीता जतह अवतारित छथिन ।

माता सीता भूमिक गर्भस’ जन्मल छथिन ओहि भूमिमे आन देवता पितरकेँ घुसपैठ वा मान्यता बहुत पहिनेस’ निर्धारण कएल क्षेत्र परिक्रमास’ बाहरे करब परम्पारा रहैत आएल छै । जाहिके सभ समयमे बुझनिक लोक निमाहैत आएल छै ।

श्रीकृष्णके गीता 
भगवत गीता सांख्य योगक एकटा रचना छै । जाहिमे पाछा कृष्ण-वासुदेव सम्प्रदाय मीलगेल । ईशापूर्व तेसर शताब्दिमे कृष्ण एवं बिष्णुमे तादात्म्य (एकरुपता) स्थापित क’क’ अइके वैदिक परम्परा अनुकूल बनाबके कार्य भेल । स्वयं नारायण भगवानके दर्जा प्राप्त कृष्णके मुखारविन्दुस’ बहराएल वाणिके सारसंग्रह मानलगेल छै ‘गीता’के ।

अइ मूल गीता-ग्रन्थके ईशापूर्व २००मे क्रमबद्ध रुपस’ तयार गेल होएत । ईशाके दोसर शताब्दिमे कोनो बेदान्ति अनुयायीव्दारा वर्तमान स्वरुप दिअके काज भेल होएत । एहन विद्वानसभद्वारा मानल जाइत छै ।

सबवेदक सार गीता
श्रीकृष्णक गीताकेँ ‘सर्व वेदमयी गीता’ सर्वधर्म आ सववेदक सार माने निचोर कहलगेल छै । एहो एकटा पैघ बात छै । कृष्णक चमत्कारी शक्ति मात्रे नइ मानव जीवनके जीवके कला,ज्ञान, मान, सम्मान, सम्मुन्ति,आदिके लेल सहज सुलभ निदानी मार्ग बतौने छै ।

ध्यानयोग, कर्मयोग, राजयोग, श्रवणयोग, ज्ञानयोग जीवन पद्धितिक वणर्न गीताके मूल सार छै । मुदा हजारो वर्षक समयक अन्तरालमे परस्पर बिरोधाभास सभ सेहो भेटैत छै । तथापि बिरोध विचारपद्धतिकेबीच सामंजस्य स्थापित करके आधारसभ समेत गीतामे भेटैत छै ।

वासुदेव-कृष्ण
कृष्णके विभिन्न नामके वणर्न साहित्यमे भेटैत छै जेना- वासुदेव, कृष्ण, गोपाल, देवकीनन्दन, नारायण आदि । अइसभ मादे अइबेरके कृष्णाष्ठमीमे वासुदेवक चर्चा करब उचित बुझल । कृष्णक माता देवकी एवं पिता वासुदेव भेलाह । पिताके नामस’ पुत्र चिनाइ छै, सनातन हिन्दुधर्म-संस्कृतिक एहे परम्परा रहल छै । मुदा पुत्रक नामस’ पिता चिनाए लागल छै ।

की ? कतहु नइ कतहु वासुदेव तहिदुवारे त’ कृष्णकसंग सम्बोधन नइ जुड़ल छै । अइ सम्बन्धमे कएटा प्राचीन साहित्यिक साक्ष्यसभस’ जनतब लिअके प्रयास कएल । जे बुझएमे आएल ओकर किछु जनतबलेल एतह सार्वजनिक करब काज कएने छी । ‘वासुदेव सर्वम्’ गीता-७/१९ ! ईश्वरके अवतारी रुपकेँ ज्ञान सर्वप्रथम गीतामे बणर्न भेटैत छै ।

गीता अध्याय ७ श्लोक १९मे कहलगेल ईश्वर सर्वत्र व्यापक छै ! अर्थात् भगवान, नारायण सभतर छैथ । कृष्णेकेँ परमब्रह्म, परमपुरुष, परमात्मा, बिष्णु एवं वासुदेव इत्यादी नामस’ सम्बोधन कएलगेल छै । सउंसे श्रृष्टिमे वासुदेव,कृष्ण, बिष्णु विराजमान छै । एहे बात बैष्णवोधर्मक मूल अङ्ग छै ।

बहुआयामिक चरित्रके देव
कृष्ण शब्द-‘कृष’ (सत्य) एवं ‘ण’ (आनन्द)स’मीलक बनल छै । जकर शाब्दिक अर्थ होइत छै सत्य एवं आनन्दक प्रतिक कृष्ण ! आब रहल वासुदेव, बासुदेव पुत्र हुअके नाते बचपनस’ कृष्णके संगे बासुदेव स्वतः जोइरक सम्बोधन कएल जाए लागल होएत । किएक त’ बासुके संग देव पहिनेस’ जुड़ल छै । देव माने देवता श्रेष्ठता, तैँ कृष्णकेँ सत्य आनन्दके देवता माइनक लोक सम्बोधन करए लागल ।

बालपनेस’ ओहन चमत्कारी कार्यसभ हुनक होइत रहल छल । ताहिस’ ‘सत्य आनन्दके श्रेष्ठ देव’ कृष्णकेँ वासुदेव-कृष्ण कहलापर ‘वासु-देव’ देवतुल्य पिता एवं ‘देव’ देवीतुल्य माता ‘देवकी’के नाम समेत समटाएल सम्बोधन होइत छै ।

जीवनके हरेक चरित्र निर्वानलेल सेहो कृष्णकेँ वासुदेव कृष्ण कहलगेल छै-‘वासुदेवोऽस्मि’ ! कृष्णके जे चरित्र छै ओ जीवनक अनेक छबीके चित्रित करएबाला छै । तहि दुवारे ओ स्वयं सेहो महाभारतमे अपनाके वासुदेव, कृष्ण, नारायण कहने छैथ । सत्य आनन्दके श्रेष्ठ देव श्रीकृष्णसंग जुड़ल वासुदेव पछा आइब एकटा सम्प्रदाय भगेल ।

बैष्णव-भागवत् सम्प्रदाय अन्तर्गत ‘वासुदेव-कृष्ण’ सम्प्रदाय कायम छै । हुनक उपासकसभ सेहो वासुदेव कहाए लागल जाहिस’ एकटा पन्थ विकसित भेल । ओ पन्थ प्रचारकसभ मिथिला नेपालक धरती पर सेहो कतेको बेर अएलाह । जाहिमे अधिकत्तर यदुवंशी छलाह ।

मिथिला नगरि जनकपुरधामक्षेत्र सीता,जनककेक्षेत्र पहिनहीस’ विख्यात छल । तैस’ अइक्षेत्रमे आइबियोक अनुयायीसब जनकपुरधामके सीमास’ पृथकक्षेत्रमे रहलाह, अपन अस्तित्व जमाबके लेल प्रचार-प्रसार करैत गेलाह ।

वर्तमान शहिदनगर यदुकोहा लगिचमे रहल ‘वासुदेवपट्टी’ गाम साधारण गाम नइ छै । जनकपुरमे नगर सभ्याताके विकसित हुअस’ पहिनहीस’ बसल गाम छै । जतह कृष्णक अनुयायी ‘वासुदेव-कृष्ण’ सम्प्रदाय, ‘वासुदेव-बृष्णी’ सम्प्रदायमे सामेल रहल अनुयायीसभ आइबक रहल बुलल,बसल छल । जेकर प्रसंग ‘गीताका धर्म और दर्शन’मे सेहो भेटैत छै ।

 

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