जनकपुरधाम । अषाढ़-१५गते नेपाल भैरमे धान रोपाई दिवस मनाओल जाइत छै । अहूबेर ई दिवस मनाओल गेल छै । देशके भौगौलिक बनाबट एहन छै, जे सभतर एक तरहक मौशम, हबा-पानि नइ रहैत छै ।
तराईक्षेत्रमे एहिबेर पानि शुरुएस’ नइ पड़लापर कृषक वर्ग बिछनधैर नइ उगाब सकल छै । तेहनमे रोपनिी की करत !तैँ एहन दिवस एक्कहि समयमे मनाएबके औचित्य की ? एहि पर विचार कएल जाए चाही ।
कृषिजन्य उत्पादन हेतु कृषकके समय पर मलरतराईक्षेत्रमे एहिबेर पानि शुरुएस’ नइ पड़ला पर कृषक वर्ग बिछनधैर नइ उगाब सकल छै । तेहनमे रोपनी की करत !
कृषककेँ मल-खाइध, सिंचाई सुविधा समय पर चाही । तखन नइ खेति सपरत आ कृषिजन्य उत्पादनमे आत्म निर्भर देश बनत । ओहिदिस संघीय सरकार, प्रदेश सरकार वा स्थानीय सरकार किनको कोनो सोकजगर प्रयास नइ देखल जारहल छै मात्र बोली बाहेक ।
एहनमे मूलरुपस’ अन्नके भण्डार मानल जायबाला तराईक्षेत्रमे वर्षा नइ भेलास’ रौदीके प्रवल सम्भावना बनल देखाइत छै । ओहिके उपाय बात करब चाही सत्ताधारी तिनु सरकारके मुदा ओ नइ क’क’ मन्त्री, सन्त्री, कर्मचारीअ ादिके बजाक धनरोपनी विधि पुरा क’क’ बजेट स्वाह करबकेँ कोनो तुक नइ ।
कृषि-धानके उत्पादने नइ होएत । रौदिए पैरके, तखन धान रोइपक दिवस मनाक धान उत्पादन भजाएत ? ई सोंचब आवश्यक छै । कृष उत्पादन बृद्धि हेतु कृषकके आवश्यउक परबाला हरेक सामग्रीके सहजतास’ उपलब्धद्धता कराओल जाय चाही ।
धान रोपाइ दिवसके तराइमे सार्थकता होएत । मात्र सख देखाउंसे रौदियोमे धान रोपिक लोककेँ अन्हारमे धरब काज धोखाधरी छै । भ्रमित करब काज छै ई बुझल जाए चाही । फोटोश्रोतःअवधेश कामत
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