मुश्लिम धर्मावलम्बीसभके वीरगाथा मोहर्म

हसन हुंसैनके मडर डे

२०७९ श्रावण २५, बुधबार २३:४३
सीमाञ्चल समदिया
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जनकपुरधाम । मुश्लिम धर्मावलम्बीसभके पर्व मुहर्म आइ धूमधामसंग समुदायक लोक नाचगान करैत मनौलक । अइ अवसर पर मिथिलाक्षेत्रके मुशलमानसभ दाहा बनाक पर्वोत्सव मनबैत आएल छै जे क्रम अहूबेर दोहराएल छै ।

समुदायके महिला पुरुष बच्चा बुच्ची नव बस्त्र धारन क’क’ हस्से हुस्से करैत हाय हाउ के राग टेरैत एक गामस’दोसर गाम दोसरस’ तेसर गाम जतह बड़का दाहा बनल होए ततह मेला देखब हेतु जुमल करैत छै ।

अपन सर कुटुम्बके संग मीलैत जुलैत नीक नुकुत खाइत सिनेहक डोरीके मजगुत करैत छै । आपसी सम्बन्ध आ सौर्हादताक प्रतिक पर्व मोहर्ममे दाहा बनाएब ओ अनिवार्यता नेपाल-भारतमे मात्र छै ।

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By-simanchal.com  दाहा मेला मिथिलेश्वर गाउँ धनुषा ।

 

मुश्लिम बाहुल्य देश जतहस’ मुहर्मके कथाक्रम जुड़ैत छै ईरान-ईराकजेहन देशमे नइ छै । नइ मुश्लिम बर्चश्वबादी देश अरब, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बङ्गलादेश, कतर,ओमान, सिरिया लीविया,कुबेत आदि समेतके देशमे दाहा मुश्लिम धर्मके प्रतिक नइ छै । नइ दाहा बनाक महोत्सव करैत छै । मुदा पवोत्सव अरबैसक मनबैत छै ।

ईश्लामधर्मके प्रनेता संस्थापक ‘पैगम्बर हजरत मोहम्मद’के जन्म मक्कामे ५७० ईश्वीमे भेल । हिनक माय-बाबु साधारण परिवारके आ बद्दु जातिमे अत्यन्त निर्धन परिवारके छलाह । २० दिसम्बर ६२२मे मक्कास’ मदीना पधारलाह ।

मक्कामे हुनक एकेश्वरबादके नइ सव्किारोक्ती भेटलैक लोक मूर्ति पुजाके परम्परास’ अलग नइ होब चाहलक आ बिरोध होब लगला पर मदिना पधारलाह । मदिनामे हिनक विचारके कदर भेल । बेस सवगत मदीनाबासी कएलैथ ।

नगरके नाम यदरीब छल । ओ यदरीब शहरके नाम हजरत मोहम्मदके प्रवेशके उपलक्षमे बदैलक ‘मदीनत-उल -रबी’ (नवीके शहर) नामाकरण कएलगेल । ओहि पछाइत संक्षेपीकरण करैत मदीनत-उल-रबीकेँ ‘मदीना’ सम्बोधन कएल जाए लागल ।

फेर हजरत मोहम्मद मदीनाके शासक बनलाह । अपन लक्ष्य अनुुसार इश्लाम धर्मके अत्याधिक विकास कएलाह । ६२२ ई.स’ हिज्री सम्बत्के शुरुआत सेहो हुनका प्रवेश पछाइत भेल । शासनमे अएला बादो मक्काके दुश्मनी मदीनाधैर हजरत मोहम्मदके खिहारने रहल ।

अलिके जेठका बेटा हसनमे विष खुवाक एवं पैगम्बर हजरत मोहम्मदके नाति हुसैनके ईरान/ईराक स्थित करबालाके मैदानमे घेउंट काइटक फूटबल जकाँ गुड़काबके काज भेल । ओहि बिरुद्ध जे वयमनस्यक बीया छिटाएल ओ सीया सुन्नी मुश्लमानके रुपमे विभक्तभ’क’ उभैरक आयल ।

हंसन हुंसैनकेँ हत्यास’ इश्लाम भितरके फूट स्थायी बैन गेल । मुदा सांस्कृतिक परम्पराके अङ्ग सेहो बनल तेकरे प्रतिक स्वरुप मोहर्म मनाओल जाइत छै ओ बात बुझमे आएल ।

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