सीमाञ्चल समदिया,
जनकपुरधाम । कोरोना महामारीकेँ कालमे अन्न, धन्न, सही उपचार बिना लोक अहुना मरैत आएल छै । समाजमे मानवताके नाममे दानवीयता सेहो देखार भरहल छै । तकर टटका उदाहरण छै-किर्तिपुरमे भाड़ादारकेँ भाड़ा रकम समय पर नइ देला पर माइर देलगेल छै ! नेपालके राजधानी काठमाण्डौ उपत्यकाके किर्तिपुर नगरपालिका अन्तर्गत एकटा तराईवासी-भाड़ादार मधेशीकेँ भरहठ्ठास’ माइरक हत्या कदेल गेल छै । हत्या अभियोगमे घरधनीकेँ प्रहरी पकैरक कार्यवाही आगु बढौने छै ।
किर्तिपुर नगरपालिका वार्ड नं.७ निवासी घर धनी प्रेमलाल महर्जज अपन घरमे रहैत आएल भाड़ादार ४० वर्षके शम्भु चौधरीकेँ भाड़ा रकम समय पर नइ देला पर काठके मोटका भरहठ्ठा उठाक तेनाक पीटलक जे चौधरीकेँ मृत्यु भगेल । महानगरीय प्रहरी बृत्त किर्तिपुरके प्रमुख रुकेश तन्डुकार अइ बातके पुष्टि कएने छैथ ।
शुक्रदिन भिन्सरमे घरधनी महर्जन आ भाड़ादार चौधरी बीच पानि सम्बन्धमे बतकटौबल शुरु भेल । ओहि बहन्ने आर्थिक विषय पर बात आइब ठमकल । तकराबाद भाड़ा रकमकेँ ल’क’ घमाशानी कहासुनी भेल । ओहि समयमे नेवार समुदायक महर्जन काठक मोटका भरहठ्ठा निकाइलके बजाइर देलक बस चालिस वर्षे चौधरीकेँ मृत्यु भगेल ।
प्रश्न ई उठैत छै कोरोनाकालमे बन्दाबन्दीके समयमे लोक बिचलीत भरहल छै । ओहि बीचलनके सिकार भेल कहल जासकैए । कोरोना कालमे बैसल बैसल लोक अधिक तमसा रहल छै । माइर रहल छै, मैर रहल छै । सरकार टूकुर टुकुर ताइक रहल छै । जनउसास लेल जनपीड़ाहर्ता रुपमे ठाढ़ नइ भरहल छै , दुर्भाग्य एतहु छै ।
ओहुना एकवर्ग विशेषके बाहुल्यता देश सञ्चालनमे छै । ओ वर्ग मधेशीयाकेँ राजनीतिक रुपस’ अधिकार विहिन अवस्थामे राखब, शासन करब ओहन खेलमे रहिते आएल छै । शासकसभव्दारा मधेशीया पेराइत,झुराइत मरैत आएले छै । सरकारक टहलुसभ संगे आब जनस्तरस’ सेहो मारल जारहल छै । तकरे उदाहरण किर्तिपुरके घटनास’ लेल जासकैए ।
अधिकार, पहिचानकेँ सबाल कएला पर, बात विषय उठौला पर गोली दागले गेल छै । गैरकानुनी मृत्यु वरण एम्हरका लोक कएनही छै । राजधानीबासीके एहन रबैया भेला पर समस्या आ व्यमनस्यता आओर थपाएत । अइमे सभपक्षके सम्झदारी आ सहकार्य आवश्यक छै ।
प्रतिक्रिया