प्रकृतिक आ संस्कृति संरक्षणमे गंगा आरती

२०७७ भाद्र २६, शुक्रबार ०६:१६
सीमाञ्चल समदिया

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सीमाञ्चल समदिया,

राकेश भगत नागवंशी,                                                                                                     

निशपक्ष आ निस्वार्थक कर्म फलदायी होइत अछि । जेकर जीवन्त उदाहरण मिथिला नगरि जनकपुरधाममे आरम्भ कएलगेल गङ्गा आरतीस’ लगाओल जासकैए । आ एकटा सन्देश सेहो लेल जासकैए लोक ठानि लए त’ कि नइ कसकत मात्र इच्छाशक्ति हुअ चाही । स्वच्छता अभियानी प्रदेश सांसद रामअशिष यादव एसगर एकर उदाहरण छैथ ।

हमरा अखनो स्मरणमे अछि २०७१ साल जेठ मासक २५गतेके ओ दिन-समय । हम एक महिना पश्चात सीमापार भारत बिहार राज्यक राजधानी पटनासँ घुरल छली । एकएक बेरिया समयमे घरमे उपेन्द्र भाईजी कहलनि चलु गंगा आरती देखि आबि….!  हम किछ नइ बुझि सकली आ टुकुर-टुकुर एकटक्क हुनक मुँह तकैत रहली । भाइजी फेरस’ टोकारि देलाह चलबै ? हम व्यंग्य भाव-मुद्रामे कहलिऐ गङ्गा आरती …. कत’ बनारसके राजघाट पर ? भाईजी कहलनि तोरा नइ बुझल छौ आइसँ एतहि गंगासागर पोखरिमे गंगा आरतीक शुभ-आरम्भ होब जारहल छै ! तखन जनतब भेल आ गेला पर दर्शन पुजन बिधि आ ताम झाम देखक मन प्रसन्न भेल । चलु जनकपुरधाममे एकटा नीक काजके शुरुवात भेल….कहैत ओतहस’ घुरलौं !

किछु दिन पहिने हम आ हम्मर सहकर्मी मीत्र ब्रजकिशोर सर, पंकज सर रामअशिष भाईसँ कार्यवस भेंटघांट भेल । ओहि क्रममे गप्प सरक्का होइत होइत गंगा-सागर सफाई अभियानी सबके बारेमे सेहो हमसब चर्चा कएल । हमरा ओ दिन पुनः स्मरण भ’गेल जाहि हेतु अहि प्रेरणादायी अभियानके सन्दर्भमे किछु जानकारी परोसके अवसर भेल आ संगीसबबीच से परोसब प्रयास कएल । लोक ठाइन लए त’ नगरमे कतहु कोनो गन्दगी फोहर रहबे नइ करत बस, मनस’ प्रणबद्धता चाही । आ कार्यहेतु किछु समय आ निरन्तरता, समाजमे जागरुकता बढाएब तकर मात्र दरकार रहल ठहर हमसभ कइली ।

सनातन धर्म-संस्कृति आ पर्यावरण संरक्षण करवाक मुख्य ध्ययेके सँग देवभूमि जनकपुरधामे पवित्र सरोवर गंगासागरके पहिने सफाई कएलगेल , जाहि अभियानके शुरुवात २०७० फागुन ११ गते शनिदिनसँ भेल छल । पहिने साप्ताहिकरुपसँ सरोवरके सफाई आरम्भ कएलगेल छल । बादमे समूहके औपचारिकता कायम भेल आ नाम देलगेल ‘सेभ द हिस्टोरिकल जनकपुर’ एकर स्थापना वर्तमान प्रदेस संसद सफाई अभियन्ता रामआशिष यादवके नेतृत्वमे भेल । साप्ताहिकसफाई अभियानके शुरुवात आ संस्थामे प्रा.विजय दत्त, अधिवक्ता राजकुमार महासेठ, उद्योगपति विजयकुमार झुनझुनवाला, समाजिक अभियन्ता अमरचन्द्र अनिल, पत्रकार ध्रुवकुमार झा, जेहन जोशगर होशगर समाजसेवी सभके सराहनीय भूमिका रहल ओ बता बुझमे आएल ।

सफाई अभियान तिनहप्ता बितलाबाद जनकपुरधामे तत्कालिन एस.एस.पी. शिव लामिछाने, नेपालीसेनाके कर्नेल डिजन पिया मेजर कपुर सिंह सहितके सुरक्षाकर्मिसभके सेहो सराहनीय भुमिका आ सहयोग सफाइकाजमे समय समय पर होइत रहल । सेभ द हिस्टोरिकल जनकपुर पश्चात वन विकासी अभियन्ता , जिला वन कार्यालयकेँ तत्कालीन सहायक वनअधिकृत सुरेश शर्मा ‘क्लिन जनकपुर ग्रीन जनकपुर’केँ मादे गंगासगर सफाई अभियानमे जुटलाह । एक दिस सफाइ आ दोसर दिस पार्यावरण संरक्षण हेतु गाछबृक्ष लगाएब आ वातावरणकेँ दुषित होएस’ आ मानवजीवनमे सुखानुभूति लेल एकटा नीक आ सुन्दर संयोग जुटल । तकर प्रतिफल शमसभ आइ देख रहल छी । गङ्गासागर संगेसंग आनोआन पोखरि सरोवर देखादेखी लोक आब अपनोस’ सफासुथर करएमे लागल रहैत छै । युवावर्ग विशेष चाँइख लैत बृक्षारोपनमे सेहो सक्रिय देखल जाइत छै । अइतरहके बदलाब समाजमे आएल छै ओकर निश्चित रुपस’ श्रेय उल्लेखित व्यक्ति यादव, शर्मा आ हुनक संगठन सहयोगीसभकेँ जाइत छै । जे समाजकेँ जागृत कएलाह, सफाइप्रति, बृक्षारोपन प्रति आ जनसेवाप्रति ।

हुनक सबहक चमत्कारी अभियानमे जनकपुरधामके पत्रकारसभ, सचेत नागरिक समाजसभ सेहो कोनो नइ कोनो रुपमे सराहनीय भुमिका आ सहयोग कएने छै । तकरो सुफल छै जनकपुरधाममे धार्मिक प्राचिन, ऐतिहासिक स्थल सनातन हिन्दूधर्मक आस्थाक केन्द्र जानकी मन्दिरके संगे संग आब गंगासागरमे भारतके बनारसके गंगाघाट जकाँ जारी दैनिक संध्या आरती एतुको गङ्गासागर घाट पर होइत छै । २०७१ साल जेष्ठ २५ गते प्रकृति आ संस्कृति संरक्षणके उद्देश्य सँग गंगादशहरा दिनस’ शुरु कएल गेल दैनिक महागंगा आरती निरन्तरता पौने छै । अइ आरतीके लेल मनोरम भजनके रचना प्राध्यापक डा.राजेन्द्र विमल, गीतकार अशोक दत्त, रमेश झा रंजन आदि कएने छै । गीतसभकेँ कोकिल कण्ठस’ गाविक स्वर लहरी सजौने छथि- गायक संगीतकार सुनिल मल्लीक, प्रवेश मल्लिक, ललित कामत, संगीता देव, शिवानी भगत आदि । हिनकोसभकेँ संस्कृति संरक्ष आ प्रवद्र्धनमे महत्वपूर्ण भूमिका मानल जासकैए ।

आरती भजन संयोजनमे पत्रकार राजेशकुमार कणर्, सुजीतकुमार झा आदिके सेहो पैघ योगदान छै । कोबिड-१९के विश्वमहामारीके अखनुका समयमे कोरोनाके कारण विध पुराब लेल गङ्गा आरती जारी छै मुदा सार्वजनिक प्रर्दशन जकाँ नइ ! लोककेँ सहभागिता बेगैर चैल रहल छै । आर्थिक खगता रहितो हरेक कठिन परिस्थितिमे दैनिक महागंगा आरतीकेँ जारी राखब एहो कम चुनौतीकेँ बात नइ छै । एतेक बात, विषय-प्रसंग लीखब, उठाएब पाछा एक्कहिटा उद्देश्य छै । कोरोना महामारी देखा देलकै केओ अपन नइ छै ! जीवन भरि संग दिअके वचनसंग, संगरहल संगनी सेहो कोरोना पोजेटीव भेला पर लग नइ आब सकैए । कहिं मृत्यु भगेल त’ मूँहो निहारब लेल एककोष दूरे रह पड़त । धन-रुप, सोना-चानी, हीरा-जबाहरात, खेत-पथार, घर-दुवार किछु काज नइ लागत । बस ! किछु नीक काज समाज लेल, देश लेल, कजाएब ओहे संग रहत; ओहे नाम अमर क’क’ राखत ! दोसर बात-‘कोनो काज ठानब एसगर त’ ओकरा पार लगाब लेल लोकसंग पुरबाला आइब जाएत’ ; मात्र अपने संकल्प लीअ आ आगु बढू तकर मात्र दरकार अछि ।

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