सीमाञ्चल समदिया,
जनकपुरधाम । सनातन हिन्दु राष्ट्र मात्र नेपाल एवं नेपालीके लेल कल्याणकारक होएत । नेपाल एवं नेपालीकेँ पहिचान एहिस’ बिकसित भेल छै । मान-सम्मान एवं समृद्धि सेहो अहि पर केन्द्रित छल, छै अइ बातके नइ बिसरल जाय चाही ।
एहन आश्य श्रीमज्जगद्गुरू शङ्कराचार्य निश्चलानन्द सरस्वती एतह ब्यक्त कएलाह । त्रेतायुगके नायक मर्यादा पुरुषोत्म भगवान श्रीरामकेँ जन्मोत्सवके अवसर पर शङ्कराचार्य सरस्वती मिथिलानगरि जनकपुरधाम पधारने छैथ ।
शीशमहल जानकी मन्दिरमे रामनओमी सन्दर्भमे आयोजित धार्मिक प्रवचन कार्यक्रममे ओ प्रमुखरुपस’ सहभागी भेलाह ।
हिन्दुराष्ट्रके मांग हेतु अपन समर्थन दैत शङ्कराचार्य सरस्वती हिन्दु अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन हेतु प्रमुख अतिथिके रुपमे शनिदिन जनकपुरधाम अएलाह ।
शिक्षक अडिटर, समाजसेवी युरेका स्कूलके संस्थापक राजकुमार झा जीके ओतह शनिदिन आतिथ्य ग्रहण कएने छलाह । ओतहि हुनक रात्री विश्राम भेल छलैन ।
रविदिन विश्वप्रसिद्ध जानकीमन्दिर प्राङ्गनमे सार्वजनकि समारोहमे ओ सामेल छलाह एवं अपन आर्शिवचनस’ नगरवासीके नेहाल कएलाह ।
‘‘हिन्दु धर्म संस्कृतिस’ संसारके मात्र जागृत कएल जासकैए । एहन मानवतावादी कोना धर्मे नइ छै । जाहिमे विश्वके कल्याणकेँ बात होइक ।
मानवके मानवताके पाठ, लोककेँ लोकहितके बात एहि धर्मस’ सीखल जासकैए । किएक त’ सभ्यताके आरम्भस’ सनातान हिन्दु धर्म संस्कृति चलैत आएल छै । नेपाल सनातनधर्मकेँ उद्गम स्थल छै । तहि दुआरे नेपाल पुरापुरी हिन्दु राष्ट्र हुअक चाही ।
धर्म निरपेक्षता अइ देशकेँ रोहानी नइ पलैट सकैए बरु बिसंगति एवं अनेक बिकृतिकेँ जन्म देत जाहिस’ नेपालके बचाओल जाय चाही । ’’ ओहो धारना ओ प्रष्ट कएलाह ।
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