जनकपुरधाम । संघीय लोकतान्त्रिक गणतन्त्र देश नेपाल घोषणा भेल समयमे छल फूर्वक जनअपेक्षा विपरित धर्म निरपेक्षा लादलगेल । जेकर दुषपरिणामसभ आब प्रष्ट देखबमे आइब रहल छै ।
प्रमुख राजनीतिक दलके किछु दलीय नेतासभ अपन नीहित स्वार्थ पुरा करब हेतु वैदेशिक शक्तिके दलालीमे देशके आत्मा पर धर्म निरपेक्षता लाइबक बज्र प्रहार कएलक । संघीयता आनके लाथे बड चलाकीस’ जनताके मनोभाव विपरित धर्म निरपेक्षता लाइद देलगेल छै ।
२०६२-०६३ समेतके आन्दोलनमे जनताके कोनो मनसुब्बा प्रस्फूटन नइ भेल छल । धर्म निरपेक्ष राष्ट्र बनाएब अथवा नइ एहन कोनो माइन्डेड त’ की चर्चोधैर नइ भेल ।
एका-एक संविधानसभामे संविधान जारी करब कालक बैसारमे तत्कालीन सभामुख सुवासचन्द्र नेम्वाङ्ग-‘आब देश धर्म निरपेक्ष रहत’ कहिक घोषणा कए देलाह । केओ एकशब्द प्रतिकारमे नइ बाजल, बहुतो नेता संसद भौंचक्क रहिगेल । प्रमुखदलके नेतासभ संविधानसभामे घोषणा काल थपरी बजादेलक बस एहितरहें घात भेल ।
विश्व हिन्दु परिषद् नेपालके तत्वाधानमे आइ शुक्र दिन जनकपुरमे गौहत्या बन्द हो गायी खायबाला, गायके काट माराबाला पर कार्यवाही हो से मांग करैत विशाल जुलुस एवं सभा आयोजन कएल गेल छल ।
प्रदेश एकके सुनसरी जिलासदर मुकाम धरान नगरपालिका क्षेत्रमे गाय-बछहाके मारि काटिक मासु राइन्हक खायब काज भेल । जाहिके भिडियो सार्वजनिक सेहो भेल छल । गाय राष्टिन्य जनावर घोषित छै । सनातन हिन्दुधर्ममे मता मानल गेल छै । पुजा कएल जाइत छै ।
जाहिके काटब मारब माउस खायब दण्डनीय अपराध मानलगेल छै । मुदा तेहन अपराध कएनिहार पर नकेल कसब सांती देशमे दोसरे बहस छिरियागेल छै । आ बर्तमान सरकार मूक दर्शक बनल छै ।
एहि सरकारकेँ कतहु नइ कतहु तेहन तत्व सह पाविक आओर बमैक रहल छै । जाहिस’ गौ रक्षकसभ आक्रोषित भ’क’ सड़क संघर्षमे उतरल छै ।
‘‘गौ हत्या बन्न कर ! हत्यारा पर कार्यवाही कर ! हिन्नु राष्ट्र कार्य कर ! धर्म सापेक्ष देश बना ! सब धर्मके सम्मान कर !’’ जेहन नारा लगबै खबरदारी जुलुस मिथिलानगरि जनकपुरधाममे बहार कएलगेल छल । जाहिमे हराक हजार लोक समोल छल ।
पंक्तिबद्ध जुलुस विद्यापति चौकस’ राममन्दिरधैर सड़क भड़ल छल, सनातनहिन्दु धर्मावलम्बीसभस’ । सउंसे जनकपुर नगरक्षेत्रमे जुलुस कएला पछाइत रामचौक लग सौतिनिया इनार लग बिशाल सभाक रुपमे परिनत भ’ भाषण-भुषण करैत सभा समापन कएलगेल छल ।
सभामे सहभागी प्रमुख वक्तासभ दोसर धर्मके लोक कानुनी रुपस’ प्रतिबन्धित अस्त्र लंक’ घुमब सभा जुलुस करब छुट छै तखन हमहु हिन्दुसभ किएक नइ तरुवाइर, कत्ता, दबिया, फरसा, लाठी, गराँसा ल’क’ घुमी ।
अपन सुरक्षा लेल एहन घरेलु अस्त्र ल’क’ घुमल जाय ओ नैसर्गिक अधिकार छै तेहनो बातसभ सम्बोधन क्रममे सहभागी प्रमुख वक्तासभ बाजल छल । एहन जनतब विश्व हिन्दु परिषद्मे सहभागी सदस्य योग गुरु बिमल पण्डित सीमाञ्चल समदियाके बतौलाह ।
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