सीमाञ्चल समदिया,
जनकपुरधाम । अइबेर आधा पुष बित लगला पछाइत थरथर्री शुरु भेल छै । ओहो आइ बुधदिन भिन्सरेस’ मौशम प्रतिकूल भेने भेल । प्रकृतिक मेहरवानीस’ दिनभैर रैह-रैहक भर्री पड़ैत रहल । बेरियामे किछुकाल कनेक कैसक बरसबो कएल ।
अखनु दश बजे रातिमे सेहो आकाशस’ भर्री झहैरे रहल छै । जे पानि गहूँम खेतीक लेल अमृतक काज करत । मुदा जेकर बिच्छन छिाटाएल होएत आ अंकुरियाएल नइ होएत तिनका लेल आफत बुझु । जे बिच्छन नइ छिटने होएताह हुनको लेल नीके रहत, हालमे बिछन बोआइ कएलास’ शिघ्रहि जन्मत आ पुरठ गहुँमक झार होएत ।
पानि पड़लास’ जाड़ आ कन्नकन्नी बैढ़ गेल छै । बजारमे गरम लत्ता-कपड़ाक बिक्री सेहो एकाएक बृद्धि भगेल ब्यापारी नेता जितेन्द्र साह बतौलाह । प्रकृति अपन करौट फेरने छै । तराईमे वर्षक संगेसंग कतहु कतहु पत्थर खसल छै । तैँ जाड़-ठाढ़मे एकासि बढोतरी भगेल छै ।
हिमाली एवं पहाड़ीक्षेत्रमे अत्याधिक बरफ खसलास’ जनजीवन कष्टकर बनल छै । ततै शहरीय बहरिया लोक पर्यटन भ्रमण करैत ओहूके आनन्द उठा रहल छै ।
मिथिलानगरि जनकपुरधामस’ ६० किलोमीटर दूर सिन्धुली गढ़ी, शिव भज्याङ, १५० किलो मीटर दूर मकवानपुर जिलाकेँ दामन, पालुङ्ग, आदि स्थानमे जाक हिउँ वर्फके नजारा लैत आनन्द उठाब लेल जारहल छै ।
नेपालक राजधानी काठामाण्डौ उपत्यकाके विभिन्न उच्चसगर पर्वत पर सेहो वर्फ खसल छै । जेना चन्द्रागिरी, गोकणर्क्षेत्र, नगरकोट, ल्याकुरे भर्याङ आदि । चित्रश्रोतः बुद्धनारायण साहनी केवट,फेसबूक ।
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