उपेन्द्रभगत नागवंशी,
सीमाञ्चल समदिया, जनकपुरधाम । बुध्द दिन मिथिला नगरि जनकपुरधाममे कला, साहित्य एवं नाट्योत्सवकेँ तिनदिना कार्यक्रम शूरु भेल । नेपालके बामपन्थी राजनीतिमे शसक्त रुपस’ दखल राखैत आएल माधवकुमार नेपाल कार्यक्रमके प्रमुख अतिथि छलाह ।
समृद्धिके आधार संस्कृति आ संस्कार एहि मूल नारासंग आयोजन कएलगेल ।कार्यक्रमके नामाकरण “जनकपुरधाम साहित्य कला एवं नाटक महोत्सव-२०७८” कएलगेल छै । ‘मैथिली विकास कोष’व्दारा कार्यक्रमके आयोजन कएल गेल छै ।
नेकपा एसके राष्ट्रिय अध्यक्ष समेत रहल प्रमुख अतिथि नेपालके अतिरिक्त मधेश प्रदेशके मुख्यमन्त्री लालबाबु राउत, नेपाली काँग्रेस सम्बद्ध प्रादेशीक मन्त्री रामसरोज यादव, पूर्वमन्त्री महेन्द्र यादव, एमालेस’ आबद्ध प्रादेशिक मन्त्री शत्रुधन महतो, पूर्वमन्त्री धर्मनाथ साह, रामचन्द्र झा, सहित विभिन्न दलके दर्जनो नेता कार्यकर्ता उद्घाटन शत्रमे सामेल छलाह ।
कोषके अध्यक्ष जीवनाथ चौधरीके सभापतित्वमे भेल कार्यक्रममे नेपाल भारतकेँ मैथिलीके मूर्धन्य साहित्यकार, कलाकार एवं पत्रकारसभ सेहो सामेल छलाह ।
कार्यक्रम देखनहुत छल मुदा उछत्तर काज नइ हुअ सकल । आयोजनक अस्त-व्यस्ता ओहिना झलैक रहल छल ।
जेना कार्यक्रमक मूलनारा राखलगेल छै ‘समृद्धिके आधार संस्कृति आ संस्कार’ कार्यक्रमस’ नइ मिथिला संस्कृति जगजियार होएत !
नइ ओहिस’ समृद्धिके केबार खुजत एवं नइ संस्कारीक व्यवहारिक पहिचानमुखी प्रगतिशील संस्कारबृद्धि हुअ सकत !!
तेकर मूलकारण छै जाहि जोश जागरस’ कार्यक्रम आयोजन कएलगेल छै ओतेक होश पुंगाक आयोजन काज नइ कएलगेल छै ।
कार्यक्रमकेँ नाम—“जनकपुरधाम साहित्य कला एवं नाटक महोत्सव” ई नामे विभेदकारी एवं षडयन्त्रमूलक लगैत छै । जे योजनाबद्ध राखब काज कएलगेल प्रतित होइत छै । एहि विषय पर सहभागी कोनो महानुभाव नइ बजलाह । जेना सहभागीसभ बिचार मरुवासभ रहल होइक ।
साहित्य, कला वा नाटक स्थान विशेषक भसकैए ? नइ ! जनकपुरधाम अथवा जनकपुरक्षेत्रक भाषा मैथिली छै, देशके राष्ट्रभाषा नेपाली छै । प्रदेशमे बाजल जायबाला सार्वाधिक मैथिलीके अतिरिक्त आन भाषासभमे भोजपुरी, थारु, आदि छै । साहित्य कला वा नाटक सेहो एहि मुताविक होएत आ छै आ रहक चाही ।
एतेक बात आयोजनकर्ताके मगजमे हुअ चाही ! तथापि “जनकपुरधाम साहित्य कला एवं नाटक महोत्सव” नाम राखब कोन तुक ।
जनकपुरक साहित्य, कला, नाटक छै ? होतै ?? किन्नहु नइ ! तखन किएक एहन नाम ? एहि पर विचार मन्थन नइ हुअ चाही ।
किएक सहभागी वक्तासभ मूँह सी लेलाह । मैथिली साहित्य कला आ नाटककेँ समृद्धि लाथे जे संस्कार विकसित करब प्रयास एम्हर किछु वर्षस’ जनकपुरधाम क्षेत्रमे भरहल छै, ओहिस’ मैथिलीकेँ उसास कम आ घात अधिक भरल छै ।
कला, संस्कृति आ साहित्य विकास लाथे नवपरम्परा आरम्भ कएल गेल छै, ओ जोगार भिराक बिगार करब जोकर काज भरहल छै । तैँ सुच्चा मिथिला मैथिली अभियानी, प्रेमिसभकेँ एहिदिशामे कान खाड़ राखक चाही ।
मिथिला-मैथिलीलेल काज करैत आएल महान सेवीसभ रामभरोस कापडि़, प्रमेश्वर कापडि़, रोशन जनकपुरी, डा.रामावतार यादव, धीरेन्द्र प्रेमर्षि, रामेश रञ्जन झा, सुनिल मल्लिक सहित दर्जनो महाअभियानीसभ मञ्चस्थ छलाह ।
मुदा अग्रभागमे केओ नइ । सभकेँ सभ मञ्चके पाछा स्थानमे आसन जमौने छलाह । साहित्यक कलात्मक मञ्च राजनीतक आखाड़ा बनल देखलगेल ।
मञ्चस्थ सहभागीसभ अपन-अपन धारना सेहो राखैत गेलाह । मुदा ‘मैथिली साहित्य कला एवं नाटक महोत्सव’ सटिक आ सही होब सकैत छल ओहन नामाकरण किएक नइ कएलगेल ।
मिथिला-मैथिलीके, नेपालीकेँ, भोपुरीके, अवधिके मगधीके साहित्य,कला होइत छै, केओ नइ सुझाब सकलाह । जनकपुरके, जलेश्वरके वा बिरगञ्जके साहित्य कला नइ हुअ सकैए ! एहि दिस चर्चा किएक नइ ।
नाम बहुत राश अर्थ रखैत छै एवं बहुत राश भेद खोलैत छै । जाहि मीशनस’ आयोजन भेल छै ओहि मीशनकारी मादे कार्यक्रममे नामाकरनो कएलगेल होएत ओ पक्का छै ।
जेना तराई केन्द्रित मधेशवादी दल मधेश प्रदेश त’ बनौलक मुदा अपन-अपन दल आ दलीय विधानमेस’ मधेश शब्दे निघास कदेनै छैथ ।
तहिना भाषा, साहित्य, कला, नाटकक्षेत्रमे काम कएनिहार संगठनसभ एवं ओकर अगुवासभ ओहितरहें किछु स्वार्थीकेँ सिकार बैन रहल छैथ । ओहनेतत्व मैथिली के गर्दन रेंत क मैथिलीके जगजियारके प्रसंग उठबैत छै ।
एहन प्रबृतिके लोककेँ चिन्हित कर पड़त, जोगार भिड़ाक सुतार बैसाक मैथिली हितक बात कएनिहार घाती सबके चेताब पड़त, अपनो चेत पड़त ! तेकर बेगरता पर सेहो गम्भिरतास’ सूक्षम दृष्टि पुंगाब पड़त !! ताहिके अधिक दरकार छै ।
2019 मे हमरो अहि साहित्य कला नाट्य सम्मेलनमे स्नेहि श्री श्यामसुन्दर शशी जीक आग्रह पर सहभागि हेवाक अवसर जुडल छल. मुदा अनुभव ततेक मिठगर सोहनगर नैह बुझाएल ई कार्यक्रम पूर्णरुपेण पक्ष पात राजनिति स आकण्ठ डूबल ऐछ. सरकारी खजाना मैथिलिके नाम पर दुहा रहल छैक किछ मूहपुर्खा सब कम्मर ओढि घी पीव रहल अहि.
मैथिली आ मिथला मधेस प्रदेश मे क त छय?? आ कतेक % लोक मैथिलि बजनिहार छैथ अन्त के छोडू जनकपूरमे कतेक लोक मैथिली बजै छै. बहुत बडका शडयन्त्र रचा रहल ऐछ जे मधेस प्रदेशके नाम बदैल क मिथिला प्रदेश नाम करण करि याह मनसूवा ॣलई सब भ रहल छैक.
जय मधेसप्रदेश
जय मातृभूमि नेपाल.