सीमाञ्चल समदिया,
जनकपुरधाम । पृथ्वीमे सबप्राणिके रक्त-रङ्ग एकप्रकारके होइत छै । पीड़ा सभप्राणिके एकेतरहें होइछैं । मात्र ओइ पीड़ाके ब्यक्त अपन-अपन तरहें करैत छै । जे अनुभूति कएल जासकैए । केओ चिचियाक, केओ केकियाक, केओ मेमियाक, केओ भोकैर,केओ कंहैरक,केओ कुँहैरक मुदा हत्या करबकाल छटपटाइत, तड़प सभप्राणिके समान होइत छै । तैँ ककरो हत्या करब, काटब-मारब, जब्बह करब मानवीय आधरमे अपराध मानल जाइत छै ।
जीव हत्या क’क’ तेहन अपराध नइ कएल जाए । अन्धआस्थाके नाममे पशुबलिकेँ परम्पराके विकसित नइ, निरुत्साहित करब दिस सभ्य समाजके लागक चाही ! ‘अहिंसा परमो धर्मः’ तहि दुवारे कहलगेल छै । तहुमे ओइ भूमि पर जीव हत्या करब, बलिप्रथा पनपाएब जाहि भूमिपर माथ धरब लेल संसार आकूल-ब्याकूल रहैत छै ।
सनातन संस्कृतिके धरोहर, मानवीयताके, मिथिला सभ्यता संस्कृतिके विश्वमे चिन्हाबबाला, संसारकेँ लोकतान्त्रिक मूल्यमान्यताके पाठ सिखाबबला जनक जानकी जगदम्बाके जन्मधर्ती मिथिलानगरि जनकपुरधाममे काट-मार प्रथा परम्पराके अङ्ग बनाएब लज्जास्पद बात छै । अइ घृणर्ित कार्यके निरुतसाहित कएल जाए चाही ।
अध्यात्मिक चेतनाके प्रेरक व्यक्ति अस्तित्व आन्दोलनके अगुवाइकर्ता अहिंसाबादी पत्रकार स्वर्गिय रवीन्द्र साह स्मृति प्रतिष्ठान, बलिप्रथा उन्मूलन अभियान समिति, सनातन सांस्कृतिक सम्बन्ध समिति, विश्व जागरण दैनिक,सहित जनकपुरधामके साजमाजिक कुरित बिरुद्धके कार्यमे लागल संघ संस्थाद्वारा संयुक्त रुपस’ आयोजित बलिप्रथा उन्मूलन अभियान अन्तर्गत कार्यक्रम कएलगेल ।
जनकपुरधामके जनकचौक पर बृहस्पति दिन ‘बलिप्रथा बिरुद्धके प्रवचन तथा कविगोष्ठी कार्यक्रम’ कएल गेल । कार्यक्रममे सहभागी अभियानीसभ उल्लेखित धारना रखलाह । संगेसंग देवी-देवताके नाममे पशु-पंक्षीके बलिके सांती मेवा-मिष्ठान,फल पकवान चढ़ाबके काज कएल जाए । कार्यक्रममे सहभागी लोकस’ प्रमुख वक्तासभद्वारा आग्रह कएल गेल । एकर अतिरिक्त जौं मांउस खाहीके होए, बलिप्रदान करब बाध्यते बुझैत होइ तेकर बिकल्प खोज करैत उपाय सेहो सुझाओल गेल ।
गत विगत वर्ष जकाँ अहूबेर ‘अनाचारके अन्त हो ! बलिप्रथा बन्द हो ! स्मृद्धिके मूल हो समता एवं धर्मके मूल हो शान्ति अइ नाराके संग आयोजित कार्यक्रममे देवी-देवताके प्रसन्न करब बहाने बलि दिअके काज नइ कएल जाए । पवित्र मठ-मन्दिरमे खस्सी, पाठी, बकरी, बोकरा, परबा, पौरकी, सुगर-बदेल, पारा-पारी, मुर्गा,हाँस-बतक आदि जीवके भक्ति-भावमे चढ़ौना चढ़ाक खुल्ला छोड़ल जासकैए ।
जौं ओकरा बध करबमे अपन-अपन धर्म बुझैत होइ, तेहन अवस्थामे सम्बन्धित पवित्र मठ-मन्दिर, गहबर चौपाइरस’ दूर निश्चित स्थानमे बलिप्रदान अथवा काट-मार ब्यवस्था कएल जाए । राजदेवी भगबत्ती, महारानीके बहुप्रसिद्ध स्थलसभमे बलि प्रदान करब काज पूणर्तया बन्द हुअ चाही । सुझाव सहित अइबात पर अमल कएल जाए लेल प्रमुख वक्तासभ सभस’ आग्रह कएलाह ।
आयोजित बलिप्रथा उन्मूलन कार्यक्रममे सान्दर्भिक कविगोष्ठी सेहो प्रस्तुत कएलगेल । कार्यक्रममे जनकपुरबौधिक समाजके अध्यक्ष, बरिष्ठ पत्रकार राजेश्वर नेपाली, सन्त सत्यनारायण आलोक, मां मीरा, सात्विक विचारधारी व्यक्तित्व शिक्षक अरबिन्दकुमार यादव, योगगुरु बिमल पण्डित, भाइ बिप्ती मण्डल, कवि चन्द्रशेखर राय ‘चमन’, उदयकुमार यादव‘उमंग’, शिक्षक सुरेश पण्डित,नविनकुमार यादव, आदि सहभागी प्रमुख वक्ताके रुपमे अपन अपन धारना रखलाह ।
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