जनकपुरधाम । शहर त’ शहर गाम-नगरसभमे सेहो आब मौलिक स्वरुपके घर-दुआर भेटब नदारथ होब लागल छै । कंक्रिटके घर-मकानस’ वातावरण असन्तुलन सेहो होइत आएल छै ।
दलकी, बिहारी जेहन प्राकृतिक आफत, नरभक्षी पशु आदिके आक्रमणस’ बांचब लेल सेहो कंक्रिटके पक्की भवने कारगर उपायके रुपमे अखनुधैर रहल छै । आन प्रबिधि एहन नइ सोकजगर रुपमे उभैरक आब सकल छै जाहिस’ प्रकृतिके सन्तुलन बनाक राखब हेतु पक्की इंटा, छड़, सिमेन्टस’ बनाओल भवनकेँ बिकल्प नइ छै ।
कंक्रिटके नगर शहरमे निर्माण भेल बवनके बसाबटबाला समाजमे बिगरैत जाइत प्राकृतिक असन्तुलनके सन्तुलित राखब काज गम्भिर रप्मे होबक चाही जे काज ओतेक गम्भिरतासंग नइ कएल जारहल छै । अइबेर अखनु अत्याधिक रौद आ गर्मीस’ लोककेँ श्वांश लेब धैरमे दिक्कत भरहल छै । मानव जीवन प्रकृतिक प्रकोपक कारण संकटमे परैत जारहल छै जेकर दोषी केओ आओर नइ स्वयं मानव छै । तथापि चेतल नइ जारहल छै ।
एहनावस्थामे मानव जीवन संकटमे परल छै । ओहिस’ उबारब हेतु वातावरणमे सँतुलन लेल, प्राणवायु प्राप्त करब हेतु हरेक नगर, गाममे अत्याधिक बृक्षारोपन कएल जाउ चाही । हरल भरल गाम नगर बाटघाट बनाओल जाय चाही जाहिस’ वातावरण सन्तुलित रहल । पानि समय पर पड़त एवं शितलता बनल रहत । लोक दीर्घी जीवी आ निरोगी कायासंग बांचत । अन्यथा झुरझुराइत जस्वन तबाहीमे बिताब पर बाध्य बनल रहत आ कोशत आनके !
संघीय लोकतान्त्रिक देश नेपाल बनला पर स्थानीय सरकारके हातमे अधिकार अएला पर वातावरण सन्तुलनके नाम पर हरेक ठाम गाछबृक्ष लगाबके काज भरहल छै मुदा सपैर नइ रहल छै । वृक्षा रोपनके नाम पर हरेक स्थानीय निकाय करोड़ो टाका प्रतेक वर्ष खर्च करैत आएल छै मुदा एको सोरही गाम जस्वन्त नइ देखल जाइत छै । तेकर पाछुके कारण छै गाछ रोपब, ओहि नाम पर धन उगाहि करब नेतघट्टा नीति राखब आ भगवान भरोसे छोइर देब । तेहनमे गाछ नइसपैर सकैए ।
सभकिछुके संगहिरहा चाही , सेवा सैय्याहार चाही । तखने विकसित होब सकैए । प्रकृतिक सन्तुलन हेतु वातावरणके सुरक्षा लेल मानवहितकारी जीवन लेल वन चाही । वन लगाब लेल भूमिमात्रे नइ वनभूमिमेरोपल वृक्षके समय समय पर सैयार करब, आवश्यक मल-जल देब,पानि पटाएब संगहिरा करबओहन काज कएल जाय चाही ।
जनकपुरधाम सहित धनुषा, महोत्तरी, सिरहा, सर्लाही, आदि जिलासभमे प्रायः स्थानीय निका नगर पालिका, गाम पालिका बृक्षा रोपन कएने छै । डिभिजन वन कार्यालय सेहो वृक्षा रोपनमे करोड़ो खर्च करहल छै मुदा उपलब्धी कागतमे जतेक भेल छै धरातल पर सून्यता भेटैत छै तेहनमे नइ वन प्रबर्द्धन होएत , नइ सड़क बाटघाट कातमे गाछबृक्ष हरियाल हरहराएल रहत नइ वन जङ्गल सपरल घनघर रहत ।
अइ बात पर सरोकारबाला सभपक्षके गम्भिर होएब आवश्यक छै । संगेसंग प्रकृति आ मानवबीचके सन्तुलन लेल वन आ जीवनके महत्वाके दर्शाएब जागरुकता बढ़ाएब तेकरो आवश्यकता अधिक छै । नीयम कानुन बनाक कागजमे जांति देलास’ विकास नइ होब सकैए ।
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