कुसंस्कारी संस्कार अनियमीतता भ्रष्टाचार कारण एवं निवारण

२०७७ श्रावण ६, मंगलवार १३:३६
सीमाञ्चल समदिया
कुसंस्कारी संस्कार अनियमीतता भ्रष्टाचार कारण एवं निवारण

 

उपेन्द्रभगत नागवंशी

देशमे बरोबैर ई सुन’ बुझ’मे आबैत रहैत छै । ‘‘ फंला निकायमे अनियमीतता भेल । भ्रष्टाचार भेल । अमूख लोक(जनसेवक–नेता, कर्मचारी, सरकारक टहलु) भ्रष्टारी छै ! अख्तियार दुरुपयोग अनुसन्धान आयोगद्वारा घुस रकम लैते फंलाजी धरौलाह’’ !! एहन समाचार–विचारसभ बरोबैर सञ्चार माध्यमक प्रमुखता बनैत आएल छै । तथापि देशस’ भ्रष्टाचार आ भ्रष्टचारी प्रबृतिक लोकमे कमी साफे नइ आबिरहल छै । किएक होइत छै विभिन्न निकायक काजमे अनियमीतता, एवं भ्रष्टारमूलक कार्य ? मूलप्रश्न एतह छै ; जाहिके जैड़मे जाएब तकर खगता–बेगरता काल्हियो छलै आ आइयो छै ।

जाहिदिश जाएके सामर्थ शासकवर्ग पञ्चायती, प्रजातान्त्रिक आ अखनुका लोकतान्त्रिक व्यवस्थामे सेहो जुटान नइ क’सकल तैँ सोकजगर परिणाम नइ आब सकल छै । देशमे भ्रष्टाचार शिष्टाचारक रुप अहु दुवारे धारन कएने जारहल छै , जाहिस’ अपने खनल खदिहामे अपने समाज गीर रहल छै मुदा ओकर आभास नइ भरहल छै सत्ताधारक तेहन व्यवस्था बना देने छै ।
    

          मानव मोन खानपीन रहन–सहनक आधारमे प्रभावित, अहलादित होइत छै । जाहिमे भोजनके प्रथमतः स्थानमे गणना कएल जासकैत छै । खाना पोषक, सन्तुलित एवं रुचिकर हुअक चाही । रुचिकर नइ भेल त’ क्षुधा मरैत छै । ओहन अवस्थामे खाक’ अघएलो पर लोकक मोन नइ अघाएल रहैत छै ! तृष्णा नइ मेटाइत छै ! खयनीहार लोक ‘पेटभरुवा’ भजाइत छै मुदा ‘मनभरुवा’ नइ होइत छै ! मोन भरब लेल मनमुताविक खानपान सहितक बस्तुसब पुरा हुअ चाही । जाहिके अभावमे अधिकत्तर नेपाली काहि कटैत रहैत आएल छै । ई बात निधोख कहल जासकैए । मुदा सत्ता आ सरकारमे बैसलाह लोककेँ से सुद्धि कहियो नइ भेलै ।

मानव मोन पर निर्भर जीवन

मानवीय संस्कार–व्यवहार, आचार–विचारक प्रतिपालन मानव मनस’ होइत छै । मानव मन प्रसन्न अप्रसन्न रहब ओइबात पर निर्भर करैत छै जाहिपर जगत्तर पलाइत पोशाइत होए । अर्थात् न्यूतम् आवश्यकता जाहिस’ पूर्ति होए । जाहिमे प्रथमतः आहार आबैत छै । दोसरमे गृह, लत्ता–कपड़ा आ तब बिलासिताक आन–आन बस्तु ! मानवीय मन आहारमे भर पड़ैत छै, आ आहार–विहारस’ नीक अधलाह–गप्प, विषय–बात, उठान–पतन करब कराएबमे मानव सफलता असफलता प्राप्त करैत छै । अइसबके पाछा खान–पान रहन सहनकेँ चमत्कारी देन होइत छै ।

       जीवनमा सुःख–दुःख आदिक अनुभव लेल लोककेँ अग्रगामी हुअके चाही । किएक त’ मानवमन मनप्रधान होइत छै । मनप्रधान मोन भेलाक ओजहस’ कर्म मनोमय होइत छै । मन नइ भेलास’ कर्म नइ कएल जासकैए । कर्म नइ कएल गेलास’ धनआर्जन करब आ हँसोतब आ ओकर उपयोग करब–कराएब ओहो काज बुद्धियारीस’ नइ कएल जासकैए, नइ हुअ सकैए । पृथ्वीमे कोनो धर्म मानबाला लोक होए, जे जेहन मानवीय–कृत करैत होए सबहक मन प्रथम प्रधान होइत छै । मनके आधारमे मानवकेँ मस्तिष्क चलैत छै । देह–शरीर त’ मात्र अपन कृयात्मक प्रकृया करैत छै । आधुनिक विज्ञान सेहो अइ सत्यकेँ स्वीकारने छै ।

          उल्लेखित बात समान्य लाग’ सकैए मुदा अत्यन्त गम्भिर आ ज्वलन्त मुद्दा छै । जकर उठान आ पहिचान हुअक चाही । तखने देश गतिमान हुअ सकैए । मानव जतेक जेहन काज, बात,विचार करए कराबए अन्ततः नीकनुकुत खायब,पहिरब–ओढ़ब लेल करैत छै । ई एहन ‘बायलोजिकल नीड’ छै, जकर बेगरता हरेक प्राणीके पड़ैत छै । ओइ लेल किछु करए पर उतैर जाइत छै । ताहिस’ कहल मानवके न्युनतम् आवश्यकता पुरा जौं नइ होइत छै त’ ओ मानव मनस’ अशान्त रहैत छै ; अशान्त मन किछु करब लेल तयार होइत छै ; अपन सन्ततिके भविष्य समेत नाश करब लेल तयार भजाइत छै ।

   अखनु प्रायःजनप्रतिनिधि अपन विश्वासपात्रकेँ घुस, अनियमीतता, बइमानी–सैतानीके काज धन्धाममे प्रयोग करैत धन उगाहीमे लागल अधिक देखाइत छै । प्रहरी, प्रशासन, अनुसन्धान, अख्यिातर जेहन निकायसब सक्रिय भेला बादो, कानुन नीयम कथुके ककरो भय नइ ! कानुनी राज्य व्यवस्थामे गल्त काज कएनिहारकेँ कानुन साफे नइ बकसैत छै । तेहन व्यवस्थाक बोधक लोक होइतो राष्ट्रभक्त कर्मचारीस’ ल’क’ जनसेवक सरकारक टहलु धैैरके लोकसब, आमजनताकेँ संग ठकैती घेंटकट्टीमे लागल रहैत छै । तेहन लोककेँ देहस’ कानुनके भय हेरा–सुखाइत जारहल छै । किए ! राज्यक नीति–निर्माणतहमे बैसलाहासबकेँ अइबात, विषय पर दृष्टि किएक नइ फरिछ भ’रहल छै !   जकर अधिक दरकार छै ।

कारण की ?

हमरासभ नेपालीकेँ संस्कार, संस्कृति परिवारमे एकगोटे कमाउ आ कम्तिमे पाँचगोटे बैसक खाउ , तेहन चलन छै ! एकटा परिवारमे श्रीमान् , श्रीमति, माय, बाबु आ बेटा–बेटी एवं एकटा अतिथिकेँ जोइड़क कम्तिमे सातगोटा सम्माहित भेल एकटापरिवार रहैत छै । माय–बाबु आ आफन्त–अतिथिकेँ छोडि़ देल जाए तैयो एकटाके कमौटीमे पाँचगोटे परिवारकेँ भार प्रतेक नेपालीकेँ उठाब पड़ैत छै । हरेक परिवारमे ई समस्या छै । एकगोटे कमाएब आओरसब बैसक खायब ! रोजगारीक सेहो ततबे समस्या छै ।

  लोककेँ क्रयशक्ति दिनानुदिन कमजोर होइत जारहल छै । महंगी तहिना सूरसा जकाँ अपन मूँह फैलौने जारहल छै । ओहिपरस’ अखनुका विश्वव्यापि ‘कोरोना’ महामारी रोगक संक्रमणस’ अर्थतन्त्र नाश भगेल छै । मध्यम बर्गिय आ निचका तप्काकेँ लोकबर्ग अहिमे अधिक प्रभावित बनल छै । राज्यके श्रोत–साधन आ सहयोगके पहुँच अइ तह–तप्काकेँ लोकधैर कोरोना महामारीयोकेँ समयमे पुंग नइ सकल छै ।
हमरा गरियौलक, हमरा मारलक, लुटलक, कटलक, हटौलक जेहन कृया–क्लापसभ मानव अपन मनमे गाँठ जकाँ बान्हिक राखैत छै । तेहन मानवमे वैर–भाव बृद्धि होइत छै । ईष्या–दोष पनपैत रहैत छै ।

     करए चाहबाला कार्य नइ कसलास’ तेहन लोकमे दोसरलोक बिरुद्ध मोनमे आक्रोष बढ़ैत छै । तेहन मनुख कहियो शान्ति नइ पाबैत छै । हुनक मोन अशान्त रहैत छै , भितरस’ अशान्त रहल लोक शान्तिप्राप्तिक कामनासंग बहुतराश अशान्ति लाबके काज जाइनक अथवा नइ जाइनक कजाइत छै । किएक नइ किएक हुनका भितर बदलायी भाव प्रकट भ’क’ उग्रता दिश तेहनो लोकमे आइबक घर कए जाइत छै । ई एकदेशके व्यक्तिमे मात्र नइ भ’क’ कोनो देश–समाजक प्राणिमे लागु होइत छै । विशेषक ओतह जतह लोक अभावमे जीब पर बाधित होए ।
न्यूतम् आवश्यकता
    पूर्णस्वास्थ्य रक्षालेल आवश्यक सन्तुलित भोजन खयलास’ मानव जीवनपर्यन्त स्वस्थ्य रहैत छै । मानवजीवन स्वस्थ्य रहलास’ मात्र मानव–जगत सुन्दर लगैत रहैत छै ।
        चाउर–४०० ग्राम, आंटा–२५० ग्राम, दाल–१०० ग्राम, कडूतेल ५०ग्राम, घीयु–१००ग्राम, दूध–२५० ग्राम, सोयाविन–५० ग्राम, अल्लु–१००ग्राम, सागपात–२०० ग्राम, तरकारी–२००ग्राम, सलाद–१०० ग्राम, मशला–२०ग्राम, गुड–५०ग्राम, हिंग–५ग्राम, मर–मासु–१५०ग्राम, फलजुस १५०ग्राम, केरा दुटा, चाह वा कफी २ कप, उत्तमगुणयुक्त मदिरा–४०–६० एमएलके आवश्यकता पड़ैत छै ।         एकटा व्यस्यक व्यक्तिलेल एकदिनके आवश्यक पूर्णआहार सामग्रीमे खर्च हुअबाला रकम अइ प्रकार छै—

सामग्री संख्या             दर प्रतिकेजी/लि.       मूल्य

चाउर– ४०० ग्राम          ८०/–                      ३२/–            

गुड़–मीठा ५०ग्राम        १४०/–                      ०७/–

आंटा– २५० ग्राम          ६०/–                       १५ /–

हिंग– ०५ ग्राम                                            १५/–
दाइल– १०० ग्राम       १५० /–                        १५ /–

मर÷माउस १५० ग्राम  १०००/–                      १३५/–
तेल ५०ग्राम               ३००/-                          १५ /–

चाह–कफी                २ कप                           ५०/–
घीयु– १००ग्राम          १२०० /–                      १२० /–

मदिरा राम्रो              ६० एमएल                   २५०/–
दूध– २५० ग्राम          १०० /–                         २५/–

दही वा छांछ           १००ग्राम                         २०/–
सोयाविन–५० ग्राम     ४००/–                         २०/–

फल जुस १५० ग्राम                                       ५०/–

केरा दुटा              दर्जन ६०/–                       १०/–

सलाद १०० ग्राम                                          २५/–

सागपात–२०० ग्राम                                     १५ /–

तरकारी– २०० ग्राम                                      १५ /–
आलु– १००ग्राम                                           ०४/ –

मशला– २० ग्राम                                        २५/–
                                               कूलजोड रु ८६३/–दैनिक ।

       मासिक एकगोटेके मात्र भोजनलेल २६०४०÷–(छब्बिस हजार चालिस) टाका महिनाके चाही । एकगोटाके कमाइमे कम्तिमा पाँचगोटेकेँ परिवार चलाएब आम नेपालीके बाध्यता रहैत छै । अइहिसाबे एकपारिवारिक सदस्यक मासिक आय कम्तिमा–१ लाख ३० हजार २००– टाका अनिवार्यतः हुअके चाही ।
          आधुनिक आहारशास्त्री आ प्राचीन स्वास्थ्य साहित्य आयुर्वेद दुनुके समिश्रनस’ तयार कएल गेल एकव्यक्ति लेल उल्लेखित आहार तालिका हेतु रु.८६३÷–मात्र समान्य भोजन हेतु चाही । एकर अतिरिक्त मनोरञ्जन, वासस्थान, पर्यटन–भ्रमण, स्वास्थ्य उपचार, सरकुटुमबके नाता–पेहानी पुरा करब आदि अनेकखर्च लोककेँ पुरा करए परैत छै । तेहन खर्चसबके चर्चा एतह नइ कएलगेल छै ।

      नइ खाक’ नइ हुअबाला खर्चके मात्र चर्चा कएल जाय त’ प्रतेक नेपाली नागरिककेँ बाँचबलेल दैनिक आहार हेतु मात्र महिनाके २६ हजार ४० रुपैंया चाही । हमरसबहक सरकारद्वारा काम करएबाला कामदार कर्मचारीकेँ न्युनतम् दरमाहा–तलब २१ हजार ४०० आ अधिकतम् ६० हजार जतेक कायम कएलगेल छै । जाहि दरमाहास’ एकटा कर्मचारी–परिवारके चाहोके खर्च नइ पुंगत !

          आम नेपालीके अइ व्यवहारिक कठिनाईकेँ राज्य सञ्चालनकर्ताकेँ बुझक चाही । लोकके व्यवहारिक कठिनाइ आ न्यूनतम खगताक पूर्ति कोना होएत ओ बात विषय बुइझक अवस्था सहज कएलगेल तखन मात्र देशमे भ्रष्टाचार अनियमीतता दूर हुअ सकैए । अन्यथा सतही आ कागजी रुपमे सबकिछु ठीक–ठाक रह’ सकैए । सरकारद्वारा प्रदत् दरमाहामे दु साँझके भोजनक जुटान नइ हुअ सकैए बुझ’ बुझाब आ सुझ–सुझाबबाला बात मूलतः एहे एतबे छै ।

            एकटा परिवारकें खेवा–खर्चा चलाबलेल एकटा कामदार–कर्मचारीके मात्र भोजन खाक’ बाचब हेतु महिनाके १ लाख ३०हजार दुसय टाका चाही । सरकारक दरमाहा २१ हजारस’ ६० हजार ! तेहनावस्थामे देशमे घपला, बइमानी, कमिशनखोरी, प्रश्रय पौतै की नइ ! देश हँकबैयासब अइ बातस’ नीकजकाँ अवगत छै । तथापि जीवनक गाड़ी चलाब नइ सकत ताहि अनुसारक तलब–दरमाहा द’क’ श्रमक उचित सम्मान देशमे नइ भरहल अवस्था विद्यमान छै । अइकारण देशमे देशभक्त राष्ट्रसेवक कर्मचारीस’ ल’क’ जनप्रतिनिधिसबद्वारा अनियमीतता भ्रष्टाचार होइत छै । मुदा सामाजक कोनो तह तप्काकेँ लोक मोर्चा बनाक अइ बिरुद्धमे प्रायः खाड़ नइ होइत छै । जाहि कारणस’ देशमे भ्रष्टाचार एकटा शिष्टाचार बैनगेल छै ।

            ट्रान्परेन्सी इन्टरनेशनलके तथ्यांक देखला पर हमरासबहक विकासो उन्मुखदेश नेपालसेहो भ्रष्टाचारमे डूबल देश छै । आओर देशकेँ तुलनामे अग्रता कायम करैत जारहल छै । ई डेराओन भयाओन लगैत अवस्था छै । दक्षिण एशियामे एकनम्बरमे आउर देशकेँ गणना कएल जाइत छै मुदा सूक्षमरुपस’ देखला पर आ गम्भिरतास’ मापन एवं बिश्लेषण कएल गेला पर भ्रष्टाचारमे हमरसबहक देश नेपाल एकनम्बरीए रहत ।

आवश्यकता पूर्तिमे बाधक
मानव अपन न्युनतम् आवश्यकता पुरा करब लेल किछुओ कसकैए आ करैत छै । हमसब जे जेहन नीयम कानुन बनाक जारी करैत होइ ! सबके सब फिक्का साबित भजाएत । कानुन–नीयमके भय जाबतधैर जनमानसमे नइ होएत केओ किएक ककरोस’ डेराओत । डेराएब नइ तकरा पाछु कारणसभमे भूख प्रथम स्थानमे पड़ैत छै ! न्युनतम् आवश्यकता पुरा नइ होएब !!

              पेटअग्नि मुझाब लेल पेटमे आवश्यक पोषक आहार, रुची अनुसारके आहार भेटक चाही । ओ नइ भेटला पर परिवारमे, परिवारस’ समाजमे आ समाजस’ राष्ट्रमे अशान्ति, अराजकता पसरैत रहैत छै । न्युनतम् आवश्यकता पुरा करब दायित्व बहनकर्ता घर–परिवारक अगुवा सामने एहन पैघ चुनौती रहैत छै । ओहिकारण नेतासब, कर्मचारीसबद्वारा नीयम–नीति बनाओल जाइत छै ; ओहिके पालन कएल जाय कहला पर, कएल जाए लेल कहल जाइत छै । मुदा व्यवहारमे ओ फलदायक सावित नइ भरहल अवस्था विद्यमान छै । अइ सत्यस’ मूँह नइ मोरल जासकैए ।

           सरकारक नियामक निकायसब अनियमितता, भ्रष्टाचार रोकबलेल पहल करैत छै, पकरैत छै, दण्ड जरिवाना जेलनेल करैत छै । मुदा सरदर नजैर दौगएला पर अख्तियारक काज सेहो बहिदार, खरदार, सुब्बा आ किछुक्षेत्रक समान्य हैशीयतक नेता, निचका तहतप्काक कर्यकार्ता कर्मचारी बाहेककेँ पकैरक कार्यवाही चलाब नइ सकल छै ।

    नीयम–नीति निर्माण करब एवम् तकर कार्यान्वयन करब कराएब तहमे तेहने जनसेवक रहैत छै जे सरकारक टहलु भ’क’ काम करैत छै, अपन डिट्युटी मात्र पुरा करैत छै कत्र्तव्य पालनस’ चुकैत आएल अवस्था छै । जनसेवक सरकारक टहलुसबकेँ बुझल छै सरकारद्वारा प्रदत् दरमाहा–भत्तास’ एकदिनकेँ भोजनो नइ पुंगतै ! तैयो तर्साक जे कहलगेल ओ काज करु, कहैत कानुन–नीयमके करकांप देखाक कागजी रुपमे सही देखाबकेँ सराहनीय काज होइत छै ; ओ बात प्रष्ट छै ।

           तैँ मासिक २१ हजार कमाएबाला राष्ट्रसेवक सरकारक टहलु एवं एकटा चौवन्नीयो अम्दानी नइ करएबाला दिनभैर दोसरेके काजमे समय व्यतित करएबाला नेता–समाज सेवकके बेटा–बेटी, संखा सन्तती महंगस’ महंग कलेजक ‘फी’ बुझाक मेडिकल, इन्जिनियरिङ्ग कोनाक पैढ़क आबैत छै ? गामस’ ल’क’ जिला सदरमुकाम आ सदरमुकामस’ राजधानी धैर करोडौंके महल कोना खडा ओ सब कलैत छै ?? ताहि दिश खोजीनीतक कार्य नइ होइत छै ! अख्तिायारक नजैर सेहो नइ पड़ैत छै, बिडम्बना एतहु छै । दोसरदिश देशमे नीयम–कानुन एकनाशके रहितो व्यवहारतः मनुख देखि–देखिक प्रयोग करब परिपाटी विकसित छै । अखनु देशमे देखलगेल विभेदकारी नीतिस’ सेहो लोक बिचलित भेल छै । उच्च ओहदामे रहलसबकेँ अख्तिायारो छुअ नइ सकिरहल छै ।

        खगता छै पहिने न्युनतम् आवश्यकतापूर्ति आमजनके हुअ पड़लै । सम्भवतःताहि दुआरे डा.बाबुराम भट्टराई प्रधानमन्त्री रहल कालमे सम्मानित सर्वोच्च अदालत एकटा मुद्दाके सुनवाई करैत तत्कालिन सरकारकेँ नाममे आदेश जारी कएने छल–‘कामदार–कर्मचारीलाई जीवन धाउने जति तलब देउ’ ! अर्थात् कामदार कर्मचारीसभकेँ गुज्जर–बसर करब जोकर पारिश्रमिक दिअके व्यवस्था कएल जाए ! अदालती आदेश करब पाछा सेहो अर्थ प्रष्ट छै–‘लोकके न्युनतम् आवश्यकता पूर्ति राज्यद्वारा देल जाएबाला सुविधास’ नइ भरहल छै ! ’ सर्वोच्चके ओहि समयकेँ निर्णय आदेशके पालन हालधैर नइ हुअ सकल तेहन अवस्था छै । अन्य देशके तुलनामे हमरसबहक देशक कामदार कर्मचारीकेँ तलब–दरमाहा कम होइतो, गरीब देश होइतो आमनेपालीके जीवनशैली ‘राजशाही’ छै । ताहि हिसाबस’ सरकारी अथवा गैरसरकारी वा नीजीक्षेत्रमे काम कएनिहारसबकेँ न्युनतम तलब–दरमाहा कमस’ कम डेढलाख महिनामे हुअकेँ चाही ।

        भ्रष्टाचार अनियमीतता रोकब आ नैतिकरुपमे सब नेपालीकेँ सबल बनाबलेल नैतिकवान चरित्रवान, इमान्दार बनल रहबमे अइस’ पैघ मद्दत भेटत । अख्तियारकेँ राजनीतिक हस्तक्षेप मुक्त, योग्य दक्ष अनुभवी आ सबस’ बेसी नैतिकरुपस’ सबल इमान्दार लोककेँ ओहिमे सम्माहित कएल जाए चाही । स्वालम्बी बनब आ बनाब लेल स्वरोजगार आ उत्पादनमुखी कार्यकेँ प्राथमिक्तामे राखल जाय । आम जनताकेँ सुझाव आ उपराग पर गम्भिरतापूर्वक तत्काल सुनवाई कएल जाए । सुधार हेतु अइतरहक किछु उपाय कएल जाय चाही !

      जौं वैदेशिक रोजगारी, दातृ राष्ट्रसबहक सहयोगमे देश चलाबकेँ छै ; तैयो दातासबहक संग कनेक आओर सहयोगक याचना कएल जाय मुदा देशमे भ्रष्टाचार अनियमितता हटाएब आ आमनेपालीके लाइफस्टाइल उदाहरनीय बनाबमे सार्थक पहल करब ओ साकारात्मक प्रयास कएल जाए चाही । मात्र सुखी नेपाली आ समृद्ध नेपाल मुँहस’ बाजि देने एवं कागतमे लीख देने नइ हुअ सकैए । मुँहस’ एकबात बाजब आ कार्य–व्यवहारमे दोसरे तरिका अपनाएबस’ जनता पर शासन कएल जासकैए मुदा जनताके विश्वास नइ जितल जासकैए ।

           जनविश्वासी पात्र बनब लेल सत्ता आ सरकारमे दलसबहक दिशस’ जनविश्वासी पात्रके राखब तकर दरकार छै । अन्यथा जनताके सरकार त’ होएत, कहाओत मुदा सरकार आ सरकारमे सामेल पात्र जनविश्वासी नइ हुअ सकत । अइ बेथितिके अन्त नइ हुअधैर हमसब नामके लेल स्वाभिमानी, होएब, रहब एवं अपन बहादुरी लेल अपन पिठी अपनेस’ थपथपाक वाह वीर–बहादुर कहाइत रहब ओइस’ उसास नइ भेटत; शासक वर्गकेँ ई बुझब अति आवश्यक छै ।

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