सीमाञ्चल समदिया,
जनकपुरधाम । ‘होइन सर, उनको सिनियर हो भनेर सम्झाई-बुझाई दिन मात्र ध्यानाकर्षण गराएको थिए । तर, उनि मेरो घरसम्म सोधखोज गर्न आएको रहेछ । मम्मी डराउनु भएकी हुन् यो मलाई थप्प पीडा दिने काम हुनु भएननि….!’
आई डेढ़बजे जटहीस’ जनकपुरधाम बसमे सवार भ’क’ अबैत कालसंगे सीट पर बैसल पातर कायाकेँ गोर रङ्गके ललाइल गाल पर कनेक बर्रेकेँ दाना छिटकल छल । उपर नीच्चा पीयर आ करीसनके कसल कुर्ती सुरुवाल पहिरने कन्या मोबाइल फोनमे गप्प करैत नेपाली भाषामे उक्तबात बाजलीह । हम बादमे पुछलीऐ कत’ घर भेल । ओ बिनु बजने आँगुर देखबैत एतहि..!
हम कहलीऐ जटही ओ घेंउट डोलाक हँ, कहलीह । हम कहलिऐ- ‘‘अहाँ कोनो पुलिसिया समस्यामे परल बुझाई छी…’’ । ओ बेबाक आ कनेक तेजीएमे बाजल ‘‘ जीवनमे एहन छोटमोट प्रोब्लेम आबैत रहैत छै । ओहन प्रोब्लेम हैण्डल करहि परैत छै ’’! हम फेर चुप्प रहली ।..तेकराबाद फेर ताबर-तोर कतेको बेर फोन एलै ओकरा ।
हमर जे आशंका रहए ओ सत्य साबित भेल । ओ गप्प-सप्प फोन अएला पर करैत गेलास’ हम जे मोने-मोन बुझने छली ओ ठीक भेल । तेकराबाद रुपैठामे बस अएला पर हम एकटा शब्द मात्र पुछलिऐ-‘‘ कत’ उतरबै ? ओ बजली-मुरलीचौक ! ’’ ओ कन्या प्रहरीके कारण फिरसानीमे छलीह । प्रहरीमे कार्यरत एकटा असई गोरकी कन्याके पाछा करैत छल, टोनटान कसैत छल ।
जाहि सम्बन्धमे ओ ओकर सिनियर सईकेँ जानकारी करा देलीह । जाहिस’ ओकर पाछा नइ करै, बाट-घाट चलैत टोन नइ कसैक ओ अभिप्रायस’ ! मुदा भेल छै उन्टा ओ आओर परेशान करए लागल छै जे परेसानी ओ शब्द आ अनुहारमे झलकैत छल । हुनक घरधैर ओ असई चलगेल डरे बेचारी जतह काज करैत छै ओतहु नागा भजाइत छै । माय घरस’ नइ जो कहि रोकैत छै तयौ, आइ काज पर जाए लेल ओ बेचारी जनकपुरधाम गामस’ आएल ।
बस मुरलीचौक पर आइब ठाढ़ भेल , लोक कोंचम कोंच छल । जाबत धैर लोक उतैर रहल छल । हम ओ गोरकी कन्या जे नइ अपन नाम कहलक आ नइ हम पुछब उचित बुझल । ओकरा कहलिऐ अहां मोबाइल पर बतिऐली ओहि आधार पर हम बुझल अनुसार अहाँक प्रोब्लेम सामाजिक आ सामूहिक छै । अइमे तटस्तता आ गम्भिरता दुनु चाही । लगक विश्वासी लोकक सहयोग सेहो ।
समान्य लागबाला बात पर गम्भिर नइ भेने भयावह अवस्था सृर्जना भजाइत छै से ध्यान राखब ! अहांके सइके स्थान पर सीधा एसपीकेँ जनतब दिअ चाहैत छल । प्रहरी असई हब्लदारसभस’ उपरकेँ पोष्टबाला कनेक बेसी बुझनीक आ गम्भिर लोक होइत छै । ओ बाजलीह- ‘हमरा सम्पर्क नम्बरो नइ छल । मुदा डिएसपी एसपी सभलग ओ सइ मादे बात पुंगल छै !’ बसस’ ओ मुरली चौक उतरीलीह आ टेम्पु पर बैसली गन्तव्य दिस जाए लेल ताबत बस बिश्वकर्मा चौक दिश जाय लेल खुइजगेल हम ओहिमे सबारे छलीह सीट पर बैसले…।
अखनुका समयमे नारी सुरक्षाके पैघ चुनैती पुरुष प्रभुत्व समाजमे भरहल छै । सुरक्षा दिअबाला निकायक लोकस’ स्वयं लोक असुरक्षित अनुभूति कएरहल छै, किछु सुरक्षाकर्मीकेँ कारण सेहो । ओहन कारणीसभकेँ उचित निगरानी करब आ सचेत कराएब आवश्यक छै ।
अन्यथा कोनो आ कखनो कोनो अप्रिय घटना देशक रक्षक मादे सेहो हुअ सकैए । ताहिप्रति प्रहरी निकायक उच्चपदस्त राष्ट्रसेवकसभकेँ ध्यानमे ई बात जाए चाही । समाधाइनक साबधानी पूर्वक समाधान हुअ चाही । कदम कदाचित ओ कन्याक संग कोनो नागाखाता नइ होइक हे प्रकृति रक्षा करियहुन ! प्रस्तुतिः उपेन्द्रभगत नागवंशी
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