सीमाञ्चल समदिया,
जनकपुरधाम । हमरोसभके देश नेपालमे महामारीके रुपमे पसरल-फैलैत जारहल कोभिड-१९ कोरोना संक्रमणके बर्तमान अवस्थामे जनसुरक्षा प्रमुख मुद्दा हुअ चाही ओ नइ भ’क’ सत्ता आ कुर्सीकेँ खेलमे हमरसबहक राज चलौनिहार सभकेँ सभ लागल छै ।
बाहरे बेगैरत ! जनताके वोकालत कएनिहार आ ओहि नाम पर अपन दल आ अपन बर्चश्व स्थापितकर्ता धिक्कार छो तोरो !! नेपाली कनेको बुझनिक लोक अखनु विशेषक गाम घरमे जे सभ समान्य रुपस’ कमाइ खटाइत जीवन बसर करैत आएल छै तिनकर सभकेँ स्वर अहिना निकैल रहल छै ।
जनताके नाम राजनीतिक करएबाला दल दलके अगुवा, लगुवासभ जनताके पीड़ाके घड़ीमे साफे पल्ला झाइर लेने छै । तीनु् तहके सरकार हर्ता बोलिक एक तरहें असक्षमता देखा देने छै । तेहन बेगैरत बेहायास’बैढ़क अखनु राजनीतिक अवस्था उपरेस’ सृर्जित कएलगेल छै ।
जाहिस’ कोरोनाकालमे देश आ जनताकेँ भरोस पर सही नइ उतैर रहल सत्ताधारी सरकार आ प्रतिपक्षी दल, ओकर सहयोगी कर्ता-धर्तासभ फैल भरहल छै । मुदा ओ बात कोना स्वीकारो तैस राजनीतिक अस्थिरता सत्ताके घीच्चा-तानीमे अपना-अपनीके केन्द्रित कएलेने छै ।
राजनीत अहूना जनहृदयबीच चीरा पारके काज मात्र देशमे करैत आएल छै । अहू कोरोना महामारीके वर्तमान संकटकालमे सेहे कएल जारहल छै युक्तिपूर्वक ! सबस’ लोकप्रीय केपी ओली नेतृत्वके अपार बहुमतके सरकार अपन पार्टीगत झगड़ाके ओजहस’ देश आ जनताके अस्तित्वस’ जोइरक देशके नाम एकदिश हंसा रहल छै ।
ततै दोसर दिस जनघाती अपन दलके लोक फरक राग-भाषमे अपन डफली बजाक दिग्रभमित करब काज करैत आएल छै, मात्र कुर्सी-सत्ताकेँ लेल । तैं ओली सरकार अल्पमतमे फरल सन अवस्थामे पुंइग गेल छै । पार्टी नेता कार्यकर्ता दू फांखमे विभक्त भगेला पर सरकार प्रमुख ओलीकेँ काइल्ह बैशाख २७ गते संसदमे बहुमत सिद्ध करब चुनौती छै ।
अइमे मधेशवादके नाम पर राजनीति करैत आएल दलके नेतासभ सेहो एक भइयोक दू खेमामे बंटल देखाइत छै । एक पक्ष सरकारकेँ पक्षमे आ दोसर तटस्त बैसक विपक्षी रहल सन देखाइत छै । ई राजनीतिक दाउंपेंच घुरपेंचसभबीचमे जनताके कि दोष ?
जनता अहिलेल जनतम नइ देने छै ई बेक्कमा निक्कमापन देखाब लेल से सभदल ओकर अगुवा लगुवासभकेँ बुझक चाही । जाहि जनताकेँ ल’क’ राजनीत हुअ चाही ओहि जनताकेँ हक अधिकारकेँ पहिल प्राथमिकतामे राखिक सभकाज करक चाही जे हमरसभकेँ देशके नेताजीसभ करएमे अक्षम सावित भरहल छै ।
सरकार परिवर्तन कएने किछु नइ होएत । सभदलमे नैतिकता आ नीति विहिने लोक अधिक नेतृत्वमे छै । नीक लोकसभ सेहो अल्प संख्यामे छै ओ नीकहासभकेँ समावेश कएल जाए आ जनइच्छा मुताविक देश हंकबैयासभकेँ राखिक सरकार बनाओल जाय आ सत्ता सांझेदारी ओहि रुपमे कएल जाए तेकर दरकार अखनु छै ।
प्रकृति एहन गतिमतिसभकेँ दैक ओ कमना अथवा करोना उठालए तेहन जनघातीसभकेँ से प्रकृतिस’ करबद्ध करुणा सेहो करएबाला लोक करैत छै ! लोकक श्राप लागत त भष्मी भूत होएबमे बिलम्ब नइ लागत ! उपेन्द्रभगत नागवंशी !
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